बूढी दिल्ली पर कविता

दिल्ली देश की राजधानी है जहा राजनितिक हलचल का केंद्र रही है है एक कटाक्ष है दिल्ली के ऊपर / दिल्ली ने हमें क्या दिया और दिल्ली के दिल में क्या है /

क्या भला रह जायेगा

इस ग़ज़ल के माध्यम से संसार की भंगुरता और अस्थिरता की बात की जा रही है।अपने कर्तव्ययों का निष्ठापूर्वक निर्वहण करके गीता के आप्त वचनों को अंगीकार करने एवं सवेदनशील रहने की बात की गई है।

उठो जगो बंधु-जागरण कविता

यह मेरी मौलिक जागरण कविता है,जो उपेन्द्रवज्रा छंद में है।जब कभी मन जीवन के उद्देश्य से भटककर नैराश्य और अंधकार की ओर प्रवृत होने लगता है,तब यह कविता नई ऊर्जा और नया उद्देश्य देती है।

मुक्ति संघर्ष-आशीष कुमार (कविता)

प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक "मुक्ति संघर्ष है" जोकि 'आशीष कुमार' मोहनिया, कैमूर, बिहार की रचना है. इसे स्वतंत्रता को आधार मानकर रचा गया है

शुभ संध्या नभ तले (संध्या-वन्दन)

प्रस्तुत संध्या-वन्दन राजेश पाण्डेय वत्स छत्तीसगढ़ द्वारा रचित है. शुभ संध्या नभ तले (संध्या-वन्दन) दिन रात संधिकाल, शुभ लग्न संध्या हाल,तारागण झाँक पड़े,पल सुखदाई में! नीड़ दिशा उड़ी दल,विहगों की कोलाहल,तिमिर को न्यौता मिला,सुर शहनाई में! लाडली सुन्दरी शाम, पल…