आओ खेलें खेल -संजय कुमार गुप्ता

आओ खेलें खेल जीवन के इस दौड़ में,चल थोड़ा शामिल हो जाएं।उत्साह और उमंग से,चल ऐसा अभ्यास करें।स्फूर्ति और चपलता से,नित जीत का नया स्वाद चखें।तोड़ डालें पूर्वानुमानों को,इतना हम…

सदा छला जन का विश्वास

सदा छला जन का विश्वास विश्वास गीत (१६,१५) सत्ताधीशों की आतिश से,जलता निर्धन का आवास।राज महल के षडयंत्रों ने,सदा छला जन का विश्वास।युग बीते बहु सदियाँ बीती,चलता रहा समय का…

आओ खेल खेलें- 29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस

29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस. --------------- आओ खेल खेलें-----------------खेल है मानव जीवन का अभिन्न अंग,खेल से छाई जीवन में खुशहाली का रंग।खेल है अनमोल उपहार यह सब को बोलें,जीवन के…

माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक)

माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक) आज नहीं है, मन पढ़ने का,मानस नहीं गीत,लिखने का।मन विद्रोही, निर्मम दुनिया,मन की पीड़ा, किसे बताऊँ,माँ के आँचल में, सो जाऊँ।मन में…

दोषी पर कविता

दोषी पर कविता ( १६,१४ ताटंक छंद ) छंद सामाजिक ताने बाने में,पिसती सदा बेटियाँ क्यों?हे परमेश्वर कारण क्या है,लुटती सदा बेटियाँ क्यों?मात पिता पद पूज्य बने हैं,सुत को सीख…

जन चरित्र की शक्ति

जन चरित्र की शक्ति कविता संग्रह भू पर विपदा आजठनी है भारी।संकट में है विश्वप्रजा अब सारी।।चिंतित हैं हर देशविदेशी जन सेचाहे सब एकांतबचें तन तन सेघातक है यह रोगडरे…

बादल पर कविता

बादल पर कविता बादल घन हरजाई पागल,सुनते होते तन मन घायल।कहीं मेघ जल गरज बरसते,कहीं बजे वर्षा की पायल।इस माया का पार न पाऊँ,क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।मैं मेघों का भाट…