जिम्मेदारी पर कविता

कविता-जिम्मेदारियां जिम्मेदारियां एक बोझ है ढोने वाले पर लद जाते हैं, ना ढोने वाले को नासमझ/ नालायक/ आवारा लोग कह जाते हैं, जिम्मेदारियां, जीवन का एक पहलू है बिना जिम्मेदारी के जीवन जानवर का बन जाते हैं , जिम्मेदारियों से घबड़ाना/ चिल्लाना/ कभी नहीं परेशानियां तो इनके संग ही आते हैं, जिम्मेदारियों से अपनो में … Read more

वक्त पर कविता

वक्त पर कविता पलटी खाता वक्त बेवक्त, मुंह बिचका के चिढ़ाता है। किया धरा पानी फिराता, वक्त ओंधे मुंह गिराता है।। सगा नहीं किसी का वक्त, हर वक्त चलता रहता है। कभी धूप कभी छांव सा, स्वरूप बदलता रहता है।। कच्ची धूप ओस की बूंद, प्रकृति को निहलाती है। तेज़ धूप झुलसाती तपन, अंत में … Read more

जीवन का पथ

जीवन का पथ दूर भले हो पथ जीवन का त्याग हौसिला कभी न मन का चलना सीखो अपने पथ पर चलते चलना बढ़ हर पग पर आलस में ना समय गवांना बिना अर्थ ना समय बिताना लक्ष्य तभी जब ना पाओगे मलते हाथ ही रह जाओगे सुख दु:ख दोनों मिलते पथ में संग चले जीवन … Read more

चली चली रे रेलगाड़ी

चली चली रे रेलगाड़ी छुक छुक छुक छुक छुक छुक छुक छुक झटपट बना ली गाड़ी चली चली रे देखो चली रेलगाड़ी रेलगाड़ी देखो बच्चों की निकली सवारी देखो बच्चों की निकली सवारी लपेट लपेट ऐसा मोड़ा दोनों पल्लू साथ में जोड़ा देखो रस्सी बन गई साड़ी चली चली रे देखो चली रेलगाड़ी रेलगाड़ी देखो … Read more

दिल का पैगाम

दिल का पैगाम भेज रहा हूँ पैगाम तुझको आँखें मिलाकर आँखों से चेहरा पढ़कर महसूस कर ले जो समझा न सके अपनी बातों से ना समझना इसे कोरा कागज ना तौलना इसे लहू के नातों से है पैगाम हमारा वफा-ए-इश्क जो लिखा है दिल के जज्बातों से इसमें लगी है प्यार की स्याही पैगाम भरा … Read more