जन्म से लेकर किशोरावस्था तक के आयु काल को कहते है। विकासात्मक मनोविज्ञान में, बचपन को शैशवावस्था (चलना सीखना), प्रारंभिक बचपन (खेलने की उम्र), मध्य बचपन (स्कूली उम्र), तथा किशोरावस्था (वयः संधि) के विकासात्मक चरणों में विभाजित किया गया है। इसी प्यारे बचपन पर ही आधारित है यह बचपन पर कविता
बचपन पर कविता
मेरा बचपन- मीना रानी
याद आता है मुझे मेरा बचपन वो बेफिक्री वो खेलना-कूदना मस्ती करना धूप में भी पेड़ पर चढ़ना मिट्टी में खेलना बड़ा भाई डांटे तो छोटों का दुलारना छोटा डांटे तो बड़े द्वारा दुलारना मम्मी द्वारा छोटे-छोटे काम सिखाना स्कूल की बातें सहेलियों का साथ जाता नहीं भुलाया बहुत याद आता है मुझे मेरा बचपन ।
आन – बान और शान देश की नही रुकने देते। वन्दे मातरम गान तिरंगा झंडा़ नहीं झुकने देते । देश हित में फूलते-फरते करते सदा देशका नाम। देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझेसलाम।
बुरे नियत वालों को नाकों चना चबवा देते। दुश्मनों को धूल चटा छण भर में छक्का छुडा़ देते। राष्ट्र रोग को सदा ही हरते रहते शुबहो – शाम। देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझे सलाम।
सभ्यता संस्कृति अखंड़ता सदा बचा करके। हो जाते शहीद हँसकर विष भी पी मुस्का करके। माँ भारतीका वंदन करते कभी नहींकरते विश्राम। देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझेसलाम।
शत नमन वंदन अभिनंदन है वीर जवानों को। मिटने देते कभी नहीं भारत भव्य अरमानों को । जोश उत्साह जतन मेंभरते कभी नहीं होते हो बाम। देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझे सलाम।
विश्व गुरू गरिमा अछुण्ण बनाते नहीं खोने देते। बाबूराम कवि छवि देश की धूमिल नहीं होने देते। अटल दृढ़ पथ से नहीं हटते देश ही तेरा चारों धाम। देशकी खातिर जीते मरते वीर जवानों तुझे सलाम।
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” बाबूराम सिंह कवि ग्राम-खुटहाँ पोस्ट-विजयीपुर जिला-गोपालगंज (बिहार)841508 Babumsing [email protected] “”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
5 अक्टूबर 1994 को यूनेस्को ने घोषणा की थी कि हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने के लिए इस दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
शिक्षक की अभिलाषा
शिक्षक की अभिलाषा
मानव के लिए शिक्षा,एक अनमोल वरदान है, जो हो गया शिक्षित,उसका अलग पहचान है। अशिक्षा से मनुष्य,निराश और परेशान है, जो जलाए शिक्षा का दीप,वही ज्ञानवान है। गुरू की करो सेवा,गुरु है ज्ञान की परिभाषा, सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
कर मेहनत विद्यार्थिगण,रचो तुम इतिहास, खुद को करो साबित न बनो तुम ‘उपहास’। कहता है ‘अकिल’,शिक्षक बीन सब है सुना, गुरू का बखान करती है,प्राचीन गंगा-यमुना। गुरु का ज्ञान है अनमोल,यह दूर करे हताशा, सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
शिक्षक का करो सम्मान,रखिए उनका ध्यान, शिक्षक है पथ-प्रदर्शक,शिक्षक है ज्ञान-संज्ञान। शिक्षक एक विचार है,शिक्षा का न हो अपमान,
शिक्षा से हो उद्धार,दूर हो अशिक्षा का तूफान। हो सर्वत्र सम्मान,शिक्षक का यही है पिपासा, सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
शिष्य करे नाम रोशन,हो असहायों का पोषण, अज्ञानता की बाग में,नित करे ज्ञान का रोपण। डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी,का हो नित-यश, 5 सितम्बर को मनाईए,सभी ‘शिक्षक दिवस’। नित करो प्रयास,न रखो मन में कोई निराशा, सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
ज्ञान नित बांटा जाए,इस अलौकिक संसार में, ज्ञान की हो वृद्धि,धर्म-समाज और व्यवहार में। ज्ञान का दीपक से रोशन हो,हर गली हर क्षेत्र, अज्ञानता की घटा दूर हो,खुले ज्ञान का नेत्र। संघर्ष में घबराओ नहीं,दिल को दो दिलाशा, सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
संसार बनाने वाले ने,शिक्षक भी यहाँ बनाया है, गुरु को शिक्षा और समाज का रक्षक बनाया है। गुरू कहे शिष्य को,संघर्ष से बनो तुम महान, करोगे तुम ऊंचा,अपने और शिक्षक का नाम। एक दिन मिलेगी सफलता,रखो मन में आशा, सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
जीवन की सबसे पहले गुरु , माता पिता होते है , जीवन में गुरु का नाम , सबसे ऊंचा होता है , गुरु जीवन में मेरे , साइकिल के पहिए जैसा होते है , गुरु ज्ञान का सागर , गुरु महासागर होते है !
गुरु बिन ज्ञान हमें नहीं , कभी नहीं है मिलता , गुरु बिन जीवन की कल्पना , कभी नहीं होती है , गुरु जीवन में हमें , सभी रास्ते दिखाते है , गुरु ज्ञान का सागर , गुरु महासागर होते है !
अच्छे गुरु हमें प्यार करते है , फिर मेरे जीवन के लक्ष्यों के , नजदीक लेकर पहुंचाते है , गुरु का ज्ञान का दक्षिणा देकर हमें , जीवन भर कर्जदार बनाते है , हम गुरु का कर्ज को ,कभी ना भूल पाते है , उनका ज्ञान जैसे कर्ज से , हम उनका मान सम्मान बढ़ाते है ,