दहेज प्रथा अभिशाप है – बाबूराम सिंह
दहेज प्रथा अभिशाप है दानव क्रूर दहेज अहा ! महा बुरा है पाप ।जन्म-जीवन नर्क बने,मत लो यह अभिशाप।।पुत्रीयों के जीवन में ,लगा दिया है आग।खाक जगत में कर रहा,आपस का अनुराग।। जलती हैं नित बेटियाँ ,देखो आँखें खोल।तहस-नहस सब कर दिया,जीवन डांवाडोल।।पुत्री बिना सम्भव नहीं ,सृष्टि सरस श्रृंगार ।होकर सब कोइ एकजुट,इसपर करो विचार।। … Read more