छत्तीसगढ़ी कविता – जड़कल्ला के बेरा
जड़कल्ला के बेरा -छत्तीसगढ़ी कविता आगे रे दीदी, आगे रे ददा, ऐ दे फेर जड़कल्ला के बेरा।गोरसी म आगी तापो रे भइया , चारोखुँट लगा के घेरा॥ रिंगीचिंगी पहिरके सूटर,नोनी बाबू ल फबे हे।काम बूता म,मन नई लागे, बने जमक…
जड़कल्ला के बेरा -छत्तीसगढ़ी कविता आगे रे दीदी, आगे रे ददा, ऐ दे फेर जड़कल्ला के बेरा।गोरसी म आगी तापो रे भइया , चारोखुँट लगा के घेरा॥ रिंगीचिंगी पहिरके सूटर,नोनी बाबू ल फबे हे।काम बूता म,मन नई लागे, बने जमक…
12 मार्च दाण्डी मार्च दिवस नव-चेतना का आह्वान किया।नमक कानून के खिलाफ पदयात्रा किया।जीना सिखाया हमें स्वाभिमान से,“महात्मा”बुलाते हम सम्मान से,घनघोर अँधेरा में बने आशा की किरण,सत्यअहिंसा की मिशाल बने जिनका जीवन।आज उन्हीं के काम के मान दिवस है।12 मार्च…
कोरोना को नहीं बुलाओ पटाखों का मोह छोड़कर दीवाली में दीप जलाओ।प्रदूषण फिर से फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। हरसाल दिवाली आयेगी हम सबको यह हर्षायेगी।खुशियों पर पैबंद लगाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। बच्चे, बुजुर्ग और जवान हमारे घर की…
सामान्यतः लय को बताने के लिये छन्द शब्द का प्रयोग किया गया है। यह अंग्रेजी के ‘मीटर’ अथवा उर्दू-फ़ारसी के ‘रुक़न’ (अराकान) के समकक्ष है। छंद क्या है? विशिष्ट अर्थों या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित…
अगले जनम मोहे बिटिया ना बनाए बचपन में ही मेरी डोर थी बांधीतब मैं उसे समझ ना पाई॥पर बाद में पता चला कि,यह राह तो मुझे शैतान तक है ले आयी॥ पढ़ाई करने की उम्र मेंमेरी शादी है रचाई॥विदा कर…