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  • मानव समानता पर कविता

    मानव समानता पर कविता

    HINDI KAVITA || हिंदी कविता
    HINDI KAVITA || हिंदी कविता

    हम मानव मानव एक समान।
    हम सब मानव की संतान ।
    धर्म-कर्म भाषा भूषा से ,
    हमको ना किञ्चित् अभिमान ।
    हिंदू की जैसे वेद पुराण ।
    बस वैसे ही बाइबल और कुरान ।
    सब में छुपी हुई है एक ही ज्ञान।
    सभी बनाती है मनुष्य को महान।
    छोड़ दो करना लहूलुहान ।
    मानवता धर्म की कर पहचान ।
    धर्म जाति से पहले हम इंसान ।
    हम हैं भारत मां की शान ।
    आत्मा एक है चाहे रूप की हो खान ।
    दूसरों में तू सदा परमात्मा को भान।
    कर लो इस मिट्टी का सम्मान।
    गायें आओ सदा भारत माता की गान।।

    • मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़
  • शादी से पहले

    शादी से पहले

    marriage

    मैं जीना चाहता था
    एकांत जीवन प्रकृति के सानिध्य में।
    पर न जाने कब उलझा
    सेवा सत्कार आतिथ्य में ।
    अनचाहे  विरासत में मिली
    दुनियादारी की बागडोर ।
    धीरे-धीरे जकड़ रही है
    मुझे बिना किए शोर।
    कभी तौला नहीं था
    अपना वजूद समाज के पलड़ों में ।
    अब जरूरी जान पड़ता
    कि पड़ूँ दुनियादारी के लफड़ों में ।
    सुख चैन मिलता सहज
    शादी से पहले ।
    पर अब जद्दोजहद करनी होगी
    चाहे  कोई कुछ भी कह ले।।

     मनीभाई ‘नवरत्न’,छत्तीसगढ़,

  • विदाई के पल पर कविता

    विदाई के पल पर कविता

    विदाई के पल पर कविता

    विदाई के पल पर कविता

    वर्षों से जुड़े हुए कुछ पत्ते
    आज बसंत में टूट रहे हैं ।
    जरूरत ही जिनकी पेड़ में
    फिर भी नाता छूट रहे हैं।

    यह पत्ते होते तो बनती पेड़ की ताकत ।
    इन की छाया में मिलती सबको राहत ।
    पर सबको मंजिल तक जाना है।
    सबने बनाई है अपनी-अपनी चाहत ।
    इन की विदाई से डाल-डाल सुख रहे हैं।
    जरूरत थी जिनकी पेड़ में
    फिर भी नाता छूट रहे हैं ।

    इन पत्तों से ही पेड़ में होती जान ।
    आखिर पत्तों से ही पेड़ को मिलती पहचान।
    यह पत्ते ही भोजन पानी हवा दिला कर ।
    बनते हैं जग में महान ।
    इनके बिना पेड़ के दम घुट रहे हैं ।
    जरूरत थी जिनकी पेड़ में
    फिर भी नाता छुट  रहे हैं ।

    मानो तो जीवन की यही परिभाषा ।
    हर निराशा में छुपी रहती आशा ।
    इनके जगह लेने कोई तो आएगा ।
    यही भरोसा और यही दिलासा।
    पतझड़ के बाद नई कोपले फूट रहे हैं ।

    बरसों से जुड़े हुए पत्ते
    आज बसंत में टूट रहे हैं।
    जरूरत थी जिनकी पेड़ में
    फिर भी नाता छूट रहे हैं।

    मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़

  • आओ स्कूल चलें हम

    आओ स्कूल चलें हम

    आओ स्कूल चलें हम,
    स्कूल में खुब पढ़ें हम।
    जब तक सांसे चले,
    तब तक ना रुके कदम ।

    पढ़ लिख के बन जाएं नेहरू।
    खुले गगन में उड़ेगें बन पखेरू।
    गाता रहे हमारी सांसो की सरगम।
    जैसे परी रानी की पायल की छम छम।
    आओ स्कूल चले हम ….

    आज इरादे हैं हमारे कच्चे
    कल पढ़कर हो जाएंगे पक्के ।
    बापू की पथ पर चलकर
    बन जाएंगे हम सच्चे बच्चे
    मिट  जाये उस दिन सारे गम।
    आओं स्कूल चले हम…..

     मनीभाई ‘नवरत्न’,छत्तीसगढ़,

  • कमाए धोती वाला खाए टोपी वाला

    कमाए धोती वाला खाए टोपी वाला

    मजदूर दिवस
    मजदूर दिवस

    तेरी व्यथा,तेरी कथा,समझे ना ये दुनिया।
    लूटा तुझे अमीरों ने, पकड़ा दिया झुनझुनिया ।
    तूने आग में चलके ,पड़ाया रे पांव में छाला ।
    कमाए धोती वाला ,खाए टोपी वाला ।।1।।

    खड़े किए ,तूने सैकड़ों मंजिल ।
    फिर भी निडर तेरा ,दहला ना दिल ।
    तेरे खुन काम से हाथों में ,जब बह आए ।
    जालिम लोगों ने समझा, तू है कातिल ।
    तेरे सपनों पर ,तेरे अपनों पर, लग गया ताला।
    कमाए धोती वाला, खाए टोपी वाला ।।2।।

    जोड़ें तूने रेशा-रेशा ,
    बुनने की तेरी सुंदर पेशा।
    दुनिया के लिए कपड़ा बनाया,
    फिर भी बदन तेरी खुला कैसा।
    तेरे नाम पे ,तेरे काम पे,पड़ गया रे जाला ।
    कमाए धोती वाला, खाए टोपी वाला।।3।।

    मनीभाई नवरत्न