प्रकृति मातृ नमन तुम्हें

प्रकृति मातृ नमन तुम्हें हे! जगत जननी,             हे! भू वर्णी….हे! आदि-अनंत,            हे! जीव धर्णी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेंहे! थलाकृति…हे! जलाकृति,हे! पाताल करणी,हे! नभ गढ़णी।हे! विशाल पर्वत,हे! हिमाकरणी,हे! मातृ जीव प्रवाह वायु भरणी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेतू धानी है,वरदानी है..तुझे ही…

कुछ तोड़ें कुछ जोड़ें

कुछ तोड़ें कुछ जोड़ें चलोआज कुछरिश्ते तोड़ें,चलोंआज कुछरिश्तें जोड़ें…..!प्लास्टिक,पॉलीथीनबने अंग जो जीवन केइनसे नाता तोड़ें,जहाँ-तहाँकचरा फेंकना,नदियों का पानीदूषित करनाइस आदत को भी छोड़ें…!!अलग-अलग हो कचराजैविक और अजैविकहर घर में खुदाएक गड्ढा होसब गीला कचराउसमें पड़ता होउससे जैविक खाद बनायेंजैविक खाद…

पेड़ धरा का हरा सोना है

पेड़ धरा का हरा सोना है  ये कैसा कलयुग आया हैअपने स्वार्थ के खातिरइंसान जो पेड़ काट रहा हैअपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहा हैबढते ताप में स्वयं नादान जल रहा हैबढ़ रही है गर्मी,कट रहे हैं पेड़या कट…

गर्मी बनी बड़ी दुखदाई

गर्मी बनी बड़ी दुखदाई ताल-तलैया नदियाँ झरनें,कुँआ बावली सब सूख गए।महि अंबर पर त्राहिमाम है,जीवन संकट अब विकट भए ।। तपती धरती कहती हमको,अतिशय दोहन अब बंद करो।हरा-भरा आच्छादित वन हो,तुम ऐसा उचित प्रबंध करो ।। ~कविता बहार से जुड़ने…

Save environment

पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा

पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा धानी चुनरी जो पहन,करे हरित श्रृंगार।आज रूप कुरूप हुआ,धरा हुई बेजार।सूना सूना वन हुआ,विटप भये सब ठूंठ।आन पड़ा  संकट विकट,प्रकृति गई है रूठ।। जंगल सभी उजाड़ कर,काट लिए खुद पाँव।पीड़ा में फिर…