जय हो तेरी बाँके बिहारी

जय हो तेरी बाँके बिहारी माँखन तुमने बहुत चुराए, बांसुरी तुमने बहुत बजाए,गोपियों को तुम बहुत सताए,माँ को उलहन बहुत सुनाए,ऐसी लीला करके गिरधर, पावन कर दीए धरा हमारी, जाऊँ मैं तुझपे बलिहारी,जय हो तेरी बाँके बिहारी ।।        बचपन में पुतना को मारे,       कालिया नाग को भी उद्धारे       अमिट कर दीए सुदामा की मित्रता, … Read more

बहुत याद आता हैं बचपन का होना

बहुत याद आता हैं बचपन का होना वो बचपन में रोना बीछावन पे सोना,,छान देना उछल कूद कर धर का कोना,,बैठी कोने में माँ जी का आँचल भिगोना,,माँ डाटी व बोली लो खेलो खिलौना,,बहुत याद आता हैं बचपन का होना।। गोदी में सुला माँ का लोरी सुनाना,कटोरी में गुड़ दूध रोटी खिलाना,,नीम तुलसी के पते … Read more

कुछ ऐसा काम कर दिखाये हम

कुछ ऐसा काम कर दिखाये हम कुछ ऐसा काम कर दिखाये हम ।दुनियाँ को जन्नत सा बनाएँ हम ।। फिरकापरस्ती का जहर कम हो ।सबका मालिक एक बताएँ हम ।। कोई हिन्दू न कोई मुसलमान हो ।इंसान है इंसान ही कहलाएं हम ।। बस्तियाँ अब बहुत जला ली हमने ।झोपड़ी में एक दीपक जलाएँ हम … Read more

अपनी भाषा हिन्दी

अपनी भाषा हिन्दी     गहरा संबंध है,सादगी और सौंदर्य मेंस्वाभाविकता और अपनत्व में।नकल में तो आती है,बनावट की बू।बोलने में सिकुड़ती हैनाक और भौं।जो है, उससे अलग दिखने की चाह।पकड़ते अपनों से अलग होने की राह।मत सोचिये कि निरर्थक कहे जा रही,क्योंकि अब मैं अपनी बात पे आ रही। बात साफ है,हिन्दी और अंग्रेजी की,देशी और … Read more

आओ मिलकर पेड़ लगाएं

आओ मिलकर पेड़ लगाएं सूनी धरा को फिर खिलाएंधरती मां के आंचल को हमरंगीन फूलों से सजाएंआओ मिलकर पेड़ लगाएं।। न रहे रिश्तों में कभी दूरियांचाहे हो गम चाहे मजबूरियांमिलकर घर सब सजाएंआओ मिलकर पेड़ लगाएं।। वन की सब रखवाली करेंसूखे लकड़ियो से काम चलाएंकैसे न खुश होंगी फिजाएंआओ मिलकर पेड़ लगाएं।। अगर करोगे वन … Read more