ज़िंदगी की राह/ निमाई प्रधान’क्षितिज

ज़िंदगी की राह/ निमाई प्रधान'क्षितिज

ज़िंदगी की राह/ निमाई प्रधान’क्षितिज~~~~•●•~~~~ ज़िंदगी की राह..जो तुम चल पड़े हो !देखना..झंझावतों कीभीड़ होगी ,आशियां टूटेगा..हरदम..हर गली में..फिर बसेरे की ज़रूरत-नीड़ होगी !! ज़िंदगी की राह..जो तुम चल पड़े हो!! संसृति का है नियम..ओ रे राही!चलते रहना है..आगे बढ़ते रहना ,अपने आगे आये-हर रुकावटों को ..मोड़ दो..या फिर-मुड़ के बह निकलना !! ज़िंदगी की … Read more