मन में जो तू ठान ले / रामनाथ साहू ” ननकी “
मन में जो तू ठान ले ,कुछ भी करले मीत ।
हौसला गिराना नहीं , होगी निश्चित जीत ।।
चरण स्पर्श है बंदगी , कृपा करे सब संत ।
मन के कल्मष मेट दे, करे सकल दुख अंत ।।
लोगों यह तन कुंभ है ,भरा हुआ जल राम ।
राख जतन के मानवा, करले अमर स्वनाम ।।
धन्यवाद माँ आपको , सौंपा सकल जहान ।
ममता अक्षय दे गई , माँ तू सदा महान ।।
जब नैराश्य करे उधम , निहार तू घनश्याम ।
प्रार्थना हिय अंतर जगे , बल दे श्री भगवान ।
~ रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह ( छ. ग. )
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद