बसंत की बहार में
बसंत दूत कोकिला, विनीत मिष्ठ बोलती।
बखान रीत गीत से, बसंत गात डोलती।
बसंत की बहार में, उमा महेश साथ में।
बजाय कान्ह बाँसुरी,विशेष चाल हाथ में।
दिनेश छाँव ढूँढते , सुरेश स्वर्ग वासते।
सुरंग पेड़ धारते, प्रसून काम सालते।
कली खिले बने प्रसून, भृंग संग सोम से।
खिले विशेष चंद्रिका मही रात व्योम से।
पपीह मोर चातकी चकोर शोर काम के।
बसंत बाग फाग में बहार बौर आम के।
बटेर तीतरी कपोत, कीर काग बावरे।
लता लपेट खाय, पेड़ मौन कामना भरे।
निपात होय पेड़ जोह बाट फूल पात की।
विदेश पीव है, बसंत याद आय पातकी।
स्वरूप ये मही सजे, समुद्र छाल मारते।
पलंग शेष क्षीर सिंधु,विष्णु श्री विराजते।
मचे बवाल कामना, पिया पिया पुकारते।
बढ़े, सनेह भावना, बसंत काम भावते।
निराश नहीं छात्र हो, नवीन पाठ सीखते।
बसंत के प्रभाव गीत चंग संग दीखते।
मने , बसंत पंचमी, मनाय मात शारदा।
मिटे समस्त कामना,पले न घोर आपदा।
विवेक शील ज्ञान संग आन मान शान दे।
अँधेर नाश मानवी प्रकाश स्वाभिमान दे।
बसंत की उमंग संग पूजनीय शारदे।
किसान भाग्य खेल मात कर्ज भार तारदे।
फले चने कनेर आम कैर बौर खेजड़ी।
प्रसून खूब है खिले शतावरी खिले जड़ी।
पके अनाज,खेत में कपोत कीर तारते।
नसीब, हाय होलिके, हँसी खुशी पजारते।
विवाह साज साजते, विधान ईश मानते।
समाज के विकास को,सुरीत प्रीत पालते।
विशेष शीत मुक्ति से,सिया समेत राम से।
घरों समेत खेत के, सुकाम मे सभी लसे।
विशाल भाल भारती,नमामि मात आरती।
हिमालयी प्रपात नीर मात गंग धारती।
अखंड देश संविधान वीर रक्ष सर्वदा।
प्रणाम है शहीद को, नमामि नीर नर्मदा।
बसंत की उमंग, फाग संग छंद भावना।
सुरंग भंग चंग मंद मोर बुद्धि मानना।
. बाबू लाल शर्मा °बौहरा”
. सिकंदरा, दौसा,राजस्थान