जन्मभूमि पर कविता जहाँ जन्म देता हमें है विधाताउसी ठौर में चित्त है मोद पाता। जहाँ हैं हमारे पिता-बंधु-माता,उसी भूमि से है हमें सत्य नाता। जहाँ की मिली वायु है…
कोटि-कोटि कंठों ने गाया कोटि-कोटि कंठों ने गाया, माँ का गौरव गान है,एक रहे हैं एक रहेंगे, भारत की संतान हैं। पंथ विविध चिंतन नाना विधि बहुविधि कला प्रदेश की,अलग…
फिर से नवजीवन का विहान जग-जीवन में जो चिर-महान्,सौन्दर्य-पूर्ण औ' सत्य-प्राण मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ,जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति,छूटे भय, संशय, अंधभक्ति, मैं…
हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह हार न अपनी मानूँगा मैं ! चाहे पथ में शूल बिछाओचाहे ज्वालामुखी बसाओ,किन्तु मुझे जब जाना ही है —तलवारों की…
खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने कोमिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने कोखिलते हैं गुल यहाँ... कल रहे ना रहे, मौसम…
लिखे जो खत तुझे / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह लिखे जो ख़त तुझेवो तेरी याद मेंहज़ारों रंग केनज़ारे बन गए सवेरा जब हुआतो फूल बन गएजो रात आई तोसितारे बन…
शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाबउसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराबहोगा यूँ नशा जो तैयारहाँ...होगा यूँ…