यह दीप अकेला / अज्ञेय
यह दीप अकेला / अज्ञेय यह दीप अकेला स्नेह भराहै गर्व भरा मदमाता परइसको भी पंक्ति को दे दो यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगापनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा?यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगायह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित : यह दीप अकेला स्नेह भराहै गर्व … Read more