धूल-भरा दिन / अज्ञेय

धूल-भरा दिन / अज्ञेय पृथ्वी तो पीडि़त थी कब से आज न जाने नभ क्यों रूठा,पीलेपन में लुटा, पिटा-सा मधु-सपना लगता है झूठा!मारुत में उद्देश्य नहीं है धूल छानता वह आता है,हरियाली के प्यासे जग पर शिथिल पांडु-पट छा जाता है। पर यह धूली, मन्त्र-स्पर्श से मेरे अंग-अंग को छू करकौन सँदेसा कह जाती है … Read more

कलगी बाजरे की / अज्ञेय

कलगी बाजरे की / अज्ञेय हरी बिछली घास।दोलती कलगी छरहरे बाजरे की। अगर मैं तुम को ललाती सांझ के नभ की अकेली तारिकाअब नहीं कहता,या शरद के भोर की नीहार – न्हायी कुंई,टटकी कली चम्पे की, वगैरह, तोनहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या कि सूना हैया कि मेरा प्यार मैला है। बल्कि केवल यही : ये उपमान … Read more

यह दीप अकेला / अज्ञेय

यह दीप अकेला / अज्ञेय यह दीप अकेला स्नेह भराहै गर्व भरा मदमाता परइसको भी पंक्ति को दे दो यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगापनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा?यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगायह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित : यह दीप अकेला स्नेह भराहै गर्व … Read more

ऊँचाई / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei

ऊँचाई / अटल बिहारी वाजपेयी ऊँचे पहाड़ पर,पेड़ नहीं लगते,पौधे नहीं उगते,न घास ही जमती है। जमती है सिर्फ बर्फ,जो, कफ़न की तरह सफ़ेद और,मौत की तरह ठंडी होती है।खेलती, खिलखिलाती नदी,जिसका रूप धारण कर,अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है। ऐसी ऊँचाई,जिसका परसपानी को पत्थर कर दे,ऐसी ऊँचाईजिसका दरस हीन भाव भर दे,अभिनंदन की अधिकारी … Read more

झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei

झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते सत्य का संघर्ष सत्ता सेन्याय लड़ता निरंकुशता सेअंधेरे ने दी चुनौती हैकिरण अंतिम अस्त होती है दीप निष्ठा का लिये निष्कंपवज्र टूटे या उठे भूकंपयह बराबर का नहीं है युद्धहम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्धहर तरह के शस्त्र से है सज्जऔर … Read more