शंकर छंद [सम मात्रिक] विधान – 26 मात्रा, 16,10 पर यति, चरणान्त में 21 या गाल l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरणों पर तुकांत l
उदाहरण :
सुरभित फूलों से सम्मोहित, बावरे मत भूल,
इन फूलों के बीच छिपे हैं, घाव करते शूल।
स्निग्ध छुअन या क्रूर चुभन हो, सभी से रख प्रीत,
आँसू पीकर मुस्काता चल, यही जग की रीत।
– ओम नीरव