एक जनवरी पर कविता / शिवशंकर शास्त्री “निकम्मा”
एक जनवरी भारत का,कोई भी नूतन साल नहीं।। चैत्र प्रतिपदा शुक्ल पक्ष,नववर्ष है, किसको ख्याल नहीं? पेड़ों में पत्ते हैं पुराने,ठिठुर रहे हम जाड़े में।धुंध आसमां में छाए हैं,जलती आग ओसारे में।।तन में लपेटें फटे पुराने,कहीं न जाड़ा लग जाए,।धूप सूर्य की नहीं मिल रही,तरस रहें कि मिल जाए।। हमें जनवरी ना भाये, है हमसे … Read more