23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है और भारत में मनाया जाता है। इस दिन 1931 को तीन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फांसी दी थी।
महात्मा गांधी की स्मृति में। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी की हत्या कर दी गयी थी। महात्मा गांधी के सम्मान में 30 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर शहीद दिवस मनाया जाता है।
भारत माँ का सपूत
भारत माँ का मैं वीर सपूत सीमा पर जाऊँगा। वीर भूमि की माटी का मैं भी कर्ज चुकाऊँगा ।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना प्यार मिला । माँ की आँचल छैंया सा सा दुलार मिला । मातृभूमि के रक्षा हित निज प्राण गवाऊँगा । वीर भूमि की माटी का मैं भी कर्ज चुकाऊँगा ।।
लेकर जान हथेली पर चलते भारत के वीर । दुश्मन गर आ जाये सामने देते उनको चीर । अमन चैन और शाँति का संदेशा लाऊँगा । वीर भूमि की माटी का मैं भी कर्ज चुकाऊँगा ।
देश वासियों के चेहरे पे मुस्कान रहे । फहरता तिरंगा छूकर आसमान रहे । पूरा भारत परिवार मेरा मुस्कान दे जाऊँगा । वीर भूमि की माटी का मैं भी कर्ज चुकाऊँगा ।।
लहू से सींचा धरती को उन वीरों याद करें । तड़प रही माँ भारती उनको हम आजाद करें । काश्मीर हमारा है रहेगा लेकर आऊँगा । वीर भूमि की माटी का मैं भी कर्ज चुकाऊँगा ।।
शहीदों पर कविता , उस व्यक्ति को हम शहीद कहते हैं. ऐसे व्यक्ति जो कि किसी भी लड़ाई में देश की सुरक्षा करते हुए या देश के नागरिकों की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देते हैं. ऐसे व्यक्तियों को शहीद कहा जाता है. यह व्यक्ति पुलिस, जल सेना, वायु सेना, थल सेना, BSF, होम गार्ड आदि के सिपाही होते है, इन्ही के लिए कविता बहार की कुछ कविताये जो इनके शहादत को बुला नहीं देगी
शहीदों पर कविता
ढह गई वह इमारत जिसके लोकार्पण के पत्थर की सीमेंट नहीं सूखी अभी तलक जिसके निर्माण की फाईल अभी हुई थी पास हाल ही में हुए थे इंजीनीयर के हस्ताक्षर फाईल पर इमारत क्यूं न ढहे इसने खड़ी कर दी कितनी आलीशान इमारतें ठेकेदार की कोठी इंजीनीयर का बंगला बड़े बाऊ का फलैट इस इमारत को मिलना ही चाहिए शहीद का दर्जा जो ठेकेदार, इंजीनीयर व बड़े बाऊ के भवन पर हो गई कुर्बान
–विनोद सिल्ला
शहीदों पर कविता
गूंज रही थीं स्वरलहरियां ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले’ अवसर था एक शहीद की चिता पर लगे मेले का इस मेले में हुए एकत्रित शहीद की जाति के लोग था आयोजन का मुख्यातिथि शहीद की जाति का सफेदपोश जिसने बताया शहीद को अपनी जाति का गौरव अपनी जाति का मान-सम्मान संकीर्णता ने शहीद की शहादत का दायरा कर दिया कितना संकुचित और कर लिए अपनी जाति के सभी वोट पक्के
शहीदों की शहादत की कहानी
शहीदों की शहादत की कहानी भी सुनानी है। चरण रज वीर की लेकर यूँ मस्तक से लगानी है। ये सरहद जो हमारी है ,यही गुरुधाम है यारों, मिटे जो देश की खातिर उन्हें सम्मान दो प्यारों। चलें हम राह पर उनकी,हमें किस्मत बनानी है, शहीदों की शहादत की कहानी भी सुनानी है। रखा है मान वीरों ने बचायी लाज आँचल की दुआ अब दे रही आत्मा, हुई आवाज़ पायल की दिलाकर न्याय यूँ उनको हमें कीमत चुकानी है । शहीदों की शहादत की कहानी भी सुनानी है। नहीं औकात दुश्मन की जो हमको आँख दिखलाये रही आदत हमारी है कि सबका मान रख आये । सिखायी शास्त्र ,ग्रंथों ने वही रीती निभानी है शहीदों की शहादत की कहानी भी सुनानी है । सदा दिल की हि सुनते हैं हमें मत आज़माओ तुम अगर चुप हैं डराने को न अब भभकी दिखाओ तुम यही वो बात है अपनी जो दुनियाको दिखानी है शहीदों की शहादत की कहानी भी सुनानी है। नीलम सिंह
शहादत पर कविता
शहादत की इबादत का, यही दस्तूर होता है। दिलो मे गर्व भर जाए, नयन में नीर होता है। मुल्क का मान रखते हैं, मौत ईमान रखते हैं।
जगे जब वीर सीमा पे, चैन से देश सोता है। छोड़ परिवार सब प्यारे, सितारे गगन गिनता है। तभी तो हर शहादत पे, किसी का चाँद खोता है।
नमन करते शहादत को, शमन आतंक करते है। शहीदी मान के खातिर, शरीरी तान बोता है। मुझे मन हूक उठती है, तिरंगे कफन चाहत की।
मिला ना क्यों मुझे अवसर, सोच के लाल रोता है। शहीदों की शहादत से, यही पैगाम है मिलता। मरें तो देश के खातिर, जनम क्यों व्यर्थ ढोता है।
करें अब होंश की बातें, दिलों में जोश जग जाएँ। का्व्य जो जोश भरता है, जोश ही शोक धोता है।
बाबू लाल शर्मा “बौहरा”
ज़ख्म भी गहरे भरे हैं
छोड़ चले प्यारे वतन को ,मेरे वीर जवान है ज़ख्म भी गहरे भरे है,दिखते अब निशान है।
ऐसे धोखे बार बार हम , अकसर खाते रहे हैं भारत माँ की आँखों से,आंसू भी आते रहे हैं बिखर गए टुकड़े होकर,ऐसा क्यों बलिदान है ज़ख्म भी गहरे भरे हैं, दिखते अब निशान है।
सुनके क्या गुजरी है,मुँह का निवाला छूट गया जिनके भी कश्मीर में थे, उनका दिल टूट गया आज खबर मैं देखूं कैसे,उनमें अपनी जान है ज़ख्म भी गहरे भरे हैं, दिखते अब निशान है।
एक -एक कतरे पर ,भारत माँ का नाम लिखा ओढ़ तिरंगा आये जब,सब देशों में मान दिखा अंतिम सांस बचे तो बोेले ‘मेरा देश महान है’ ज़ख्म भी गहरे भरे हैं , दिखते अब निशान है
चीख निकल गयी माँ की, मूर्छित हो गई बेटी तोड़ चूड़ियां दहाड़ मार,पत्नी धरती पर लेटी सदमें में परिवार,फिर भी जिन्दा वो हैवान है ज़ख्म भी गहरे भरे हैं, दिखते अब निशान हैं।
मुर्दा बनकर तूआतंकी,किस बिल में सोया है मेरे वतन का कोना-कोना,गला फाड़ रोया है ढूंढ-ढूंढ मारेगे तुमको,जब तक तन में प्रान है ज़ख्म भी गहरे भरे हैं , दिखते अब निशान है।
✍–धर्मेन्द्र कुमार सैनी,बांदीकुई
शहीद बना दो
वतन पर शहीद हो जाऊँ, ऐसा मेरा दिल बना दो । भगत,आजाद, या फिर से मुझे बिस्मिल बना दो ।। (1)
तूफानों से निबाह, मेरा बरसों से रहा । अब मुझे किसी कश्ती का, शाहिल बना दो ।। (2)
दुश्मनों के नापाक ईरादे, टिक नहीं पाएंगे । बस उनके लिए मुझे, बेरहम क़ातिल बना दो ।। (3)
मातृभूमि के सिवा, और कुछ भी याद न रहे । ऐसा कोई देशभक्त, मुझे कोई फाज़िल बना दो ।। (4)
बसंती चोला लिए, राख हो जाऊँ इस मुल्क पर । मेरे भी जीवन को, तुम किसी काबिल बना दो ।। (5)
बापू के महान विचार, जीवित रहें फ़लक पर । इस धरा की मिट्टी को, सदा के लिए दुर्मिल बना दो ।। (6)
वीरों की शहादत को, सुभद्रा सी रोशनाई दूँ । दिनकर,चतुर्वेदी, या फिर मुझे धूमिल बना दो ।। (7)
प्रकाश गुप्ता ‘हमसफ़र’
कारगिल जंग के वीर
वतन की हिफाजत के लिए त्याग दिए प्राण। तुमने आह!तक नहीं किये त्यागते समय प्राण।। सीने पर गोली खा के हो गये देश के लिए शहीद। मुख में था मुस्कान गोली खा के भी बोले जय हिंद।। मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत्-शत् नमन। कारगिल जंग के वीर शहीदों तुमको शत् शत् श्रद्धा सुमन।। 1।।
धन्य हैं जिसने तुमको आंचल में छुपा कर दुध पीलाई वो माता। धन्य है जिसने तुमको हाथ पकड़कर चलना सीखलाया वो पिता।। धन्य है जिसने तुमको वीरता की राखी पहनाई वो बहन। धन्य है जिसने तुम्हारे लिए सदा जीत की दुआ मांगती वो पत्नी।। मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों तुमको शत्-शत् नमन। कारगिल जंग के वीर शहीदों तुमको शत् शत् श्रद्धा सुमन।। 2।।
जब तक रहेगा सुरज-चांद अमर रहेगा तुम्हारा नाम। हिंद देश के हिंदुस्तानी कर रहे हैं तुमको बारंबार प्रणाम।। मां-बाप के आंखों के तारा भारत माता की सपूत वीर। अपने खून से सजाया तुमने भारत माता की तस्वीर।। मेरे वतन क जांबाज सिपाहियों तुमको शत्-शत् नमन। कारगिल जंग के वीर शहीदों तुमके शत् शत् श्रद्धा सुमन।। 3।।
वीर शहीदों भारत मां की सपुत करते हैं तुमपे नाज। श्रद्धा सुमन के दो फूल समर्पित करते हैं हम तुम को आज।। जिसने बहाया अपना खून – पसीना वो है कितना महान। धन्य हुई भारत मां की मिट्टी की रख ली आन बाण शान।। मेरे वतन के जांबाज तुमको शत् – शत् नमन। कारगिल जंग के वीर शहीदों तुमको शत् शत् श्रद्धा सुमन।। 4।।
कर दिए वीरान दुश्मनों ने वो माता-पिता के गुंजते आंगन। उजाड़ दिए माथे की सिंदूर इक पतिव्रता नारी की सुहागन।। अगल कर दिए भाई-बहन के प्रेम की रक्षा-बंधन से। कर दिए अलग वीर सपूत को भारत माँ की दामन से।। मेरे वतन के जांबाज सिपाहियों को बारंबार नमन। कारगिल जंग के वीर शहीदों तुमको शत् शत् श्रद्धा सुमन।।5।।
✍पुनीत राम सूर्यवंशी “सोनाखान”
वतन के रखवाले
सरहद की दुर्गम घाटी चोटी पर, नित प्रहरी बन तैनात हैं निशि-वासर हिमवर्षा,पावस में कर्तव्यनिष्ठ भारत माँ के लाल हैं।
घर छोड़ सरहद पर बैठे हैं रणबांकुरे देशवासी चैन की नींद सो पाते हैं अमन शांति सर्वत्र है हमसे निर्भय, निडर परिवेश बनाते हैं। मात- पिता परिवार प्रियजन सबसे बढ़कर है देश की रक्षा बारूद के ढेर पर तोपों से हम दुश्मन से करते हैं सुरक्षा।
जब जब रिपु ने वार किया देश की थाती पर प्रहार किया बसंती चोला पहन निकले हम अरि का भीषण संहार किया। आँच न आने देंगे माँ तुझ पर प्राणों की बाजी लगा देंगे आँख उठाई दुश्मन ने तो अस्तित्व जड़ से मिटा देंगे।
जान हथेली पर लेकर हम दुश्मन की ईंट बजाते हैं छठी का दूध दिलाकर याद भारत माँ का ध्वज़ फहराते हैं। वतन के हम रखवाले हैं फौलादी सीना ताने मतवाले हैं आज़ादी की रक्षा में तत्पर शहादत देने वाले हैं। आतंकी जेहादी का हम सीमा पर ढेर लगाते हैं फर्ज़ निभाने की खातिर सर पर कफ़न बांध कर चलते हैं।।
सौभाग्य है हम रखवालों का हिफाज़त-ऐ-वतन जीवन बिताते हैं मौका-ए-शहादत मिल जाए तो तिरंगे में लिपट कर आते हैं।
कुसुम लता पुंडोरा
वतन परस्ती में खुद को
नाम वतन के अपनी आन और शान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
है हिम्मत तो आगे आओ, देशभक्ति का बिगुल बजाओ देखो लुटेरा लूट रहा है, माँ बहनों की लाज बचाओ देख तू खुद को सच से न अंजान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
आज वतन भी ताक रहा है, कौन फ़र्ज़ से भाग रहा है मातृभूमि की रक्षा के हित, कौन हितैषी जाग रहा है सबसे पहले अपने वतन का मान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
साम्प्रदायिकता परवान चढ़ रही अनैतिकताएं कितनी बढ़ रही हिन्दू मुस्लिम राजनीति है सब क़ौमें आपस में लड़ रहीं बंदे तू तो खुद को हिंदुस्तान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
भिन्न भिन्न परिवेश हो चाहे, अलग भाषा और भेस हो चाहे जग में हमको एक है रहना आपस मे कई भेद हों चाहे वीर शहीदों के पूरे अरमान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
वतन की खातिर मरना सीखो अपने वतन पर मिटना सीखो आंच न इस कि आन पे आए इन दावों पर टिकना सीखो अपनी पावन माटी का सम्मान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
अपने वतन की बात निराली, कहीं ईद और कहीं दीवाली रंग बिरंगी परम्परा है यहां भजन और वहाँ कव्वाली ‘चाहत’ है गीतों में तू यशगान कर वतन परस्ती में खुद को कुर्बान कर
नेहा चाचरा बहल ‘चाहत’
वतन हमारा है चमन – देश पर दोहे
वतन हमारा है चमन, भाँति-भाँति के फूल | रंग रूप सबसे अलग, “जन-गण-मन” है मूल |
उर में बसता हिन्द है, बसे तिरंगा नैन | जय भारत जय हिन्द की, बसा जीभ पर बैन ||
तीन रंग का ओढ़कर, आज दुशाला यार | देश प्रेम में डूबकर, करते जय जयकार ||
भारत प्यारा देश है, प्यारे सारे लोग | जो जैसा है सोचता, वैसा पाता भोग ||
सिक्का चित पट से बना, दोंनो हुए विशेष | हुए आदमी कुछ बुरे, बुरा नहीं है देश ||
सुकमोती चौहान रुचि
आजाद हिन्दुस्तान पर कविता
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की | आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की | चारो ओर फैला प्रदूषण, भारत माता कराह रही | स्वच्छ भारत अभियान चला,नदियों में भी राह नही |
प्रकृति से करते खिलवाड़, मन में अब उत्साह नही | इस धरा को स्वर्ग बनाने, जय बोलो युवा संतान की | आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की | आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
चारो ओर आतंक मचा है, दुश्मन गोली बरसाते है | भारत माँ के वीर सपूत, सीने पर गोली खाते हैं | दोस्ती का हाथ बढ़ाकर,शत्रु को भी अपनाते हैं | बहुत वीरगांथाए हैं, जय बोलो बलिदान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की | आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की | अणु -परमाणु बना रहे, बना रहे मिसाइल हैं | इंटरनेट का जाल बिछा,तरंगो से सब घायल हैं |
रासायनिक उर्वरको का, प्रयोग करते जाहिल हैं | सुधार प्रक्रिया अपनाने को, जय बोलो विज्ञान की | आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की | आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |
राजनीति के गलियारो में, अच्छे नेताओ का टोटा है | भ्रष्टाचार मचा हुआ है, हमारा सिक्का खोटा है | गरीब मजदूरों के पास, न थाली न लोटा है | हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई, जय बोलो इंसान की | आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की |
आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की | शिक्षा व्यवस्था चौपट सब,स्कूल में कौन पढ़ाते है | निजी विद्यालय को देखो , शुल्क रोज बढ़ाते है | ट्यूशन और फरमानो से, बच्चे बोझ से दब जाते हैं | शिक्षा में गुणवत्ता लाने, जय बोलो शिक्षा मितान की |
आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की | आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की | हाहाकार मचा हुआ है,देख हिमालय की घाटी में | वीर सपूत लोहा लेते हैं, रक्त सिंचते है माटी में |
अर्थव्यवस्था बिगाड़ रहे,यही शत्रु की परिपाटी में | आतंकियो को मार भगाने , जय बोलो जवान की | आओ हम बुनियाद रखे, आजाद हिन्दुस्तान की | आओ हम जयगान करे, भारत के किसान की |