Tag: #अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • इस धरती पर आये हैं , तो कुछ करके जाना है – कविता

    इस धरती पर आये हैं , तो कुछ करके जाना है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    भारत

    इस धरती पर आये हैं
    तो कुछ करके जाना है

    यूं ही अपना ठिकाना
    वहां नहीं बनाना है

    जीते जी जीत लिया
    दिल जो सबका

    मरके उसको भी
    मुंह तो दिखाना है

    भलाई का सिला
    हमेशा भलाई होता है

    दुनिया को बनाए रखने का
    अच्छा यही बहाना है

    बुरे दिन तो सभी के
    जीवन में आते हैं

    अच्छे दिनों में उन्हें
    बदलकर हमें दिखाना है

    पाप – पुण्य क्या है
    यह हमें नहीं मालूम

    हमें तो इस धरती को
    स्वर्ग बनाना है

    इस धरा ने बहुमूल्य
    पञ्च तत्वों से हमें बनाया है

    यह जीवन हमें
    यूं ही नहीं गंवाना है

    मुश्किलें आते रहीं
    सदियों हमारे जीवन में

    उनसे लड़ इस जीवन को
    हमें ऊपर उठाना है

    संस्कारों में हमें
    देना है कुछ ऐसा

    चूंकि आज
    वैश्वीकरण का ज़माना है

    पाने में हमारी
    रूचि नहीं है

    हमने तो अब तक
    केवल देना ही जाना है

    सभ्यता ने इस विश्व को
    दिया बहुत कुछ

    हमें भी इस धरा पर
    कुछ तो करके जाना है

    इस धरती पर आये हैं
    तो कुछ करके जाना है

    मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

  • कृष्ण भजन – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कृष्ण भजन – वंदना

    कृष्ण
    कृष्ण

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया
    वो जबसे जगत में आया
    सबका बेड़ा पार लगाया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    उसकी बातें मेरे मन को भायें
    मन में जीवन ज्योति जगायें
    उसकी महिमा का अंत नहीं है
    उसके जैसा संत नहीं है

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    बातें उसकी अमृत बरसायें
    जीवन में अमृत घोल जायें
    वो तो है सबका सहारा
    करता सबका जीवन उजियारा

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    बनाई है दुनिया उसी ने
    राह सच्ची दिखाई उसी ने
    मोक्ष पाने का रास्ता दिखाया
    मानव के समझ में आया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    उसकी लीलायें लगतीं निराली
    अब माखन चुराने की बारी
    हो बालपन या फिर युवापन
    हर एक रूप सभी को है भाया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    धर्म का पाठ है सबको पढ़ाया
    सत कर्म से परिचय कराया
    रूप अर्जुन को अपना दिखाया
    मन मस्तिस्क पर है ये छाया

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

    कृष्ण की महिमा सब मिल गायें
    जीवन को अपने सफल बनायें
    इस जीवन में मोक्ष पायें
    प्रभु की गोद में जगह बनायें

    रूप श्याम का मेरे मन को भाया
    रूप मुरली मनोहर का भाया

  • हम वीरों की गाथा गायें – हिंदी कविता

    हम वीरों की गाथा गायें – हिंदी कविता

    हम वीरों की गाथा गायें – हिंदी कविता

    mahapurush

    हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढायें

    भारत माँ के उन लालों की
    पुण्य विजयी गाथा हम गायें

    उन वीरों के चरण कमल पर
    आओ हम मंगल पुष्प चढायें

    जीवन था जिनका कुछ क्षण का
    पर छाप छोड़ गए अमिट
    मातृभूमि की रक्षा पर
    किये प्राण जिन्होंने अर्पण

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    अनंत विजय का घोष किया
    मार्ग दिखाया देश प्रेम का

    मार्ग प्रशस्त किया जिन्होंने
    मातृभूमि पर न्योछावर का

    उन वीरों की विजयी गाथा को
    भावी पीढ़ी तक पहुंचायें

    लड़े अंत तक पूर्ण विजय तक
    पुष्ट किया आजादी को

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    शत शत नमन हमारा उनको
    पुण्य किया जिन्होंने इस धरती को

    मातृभूमि की पुण्य संस्कृति
    विश्व जन तक हम पहुंचायें

    स्वदेशी का नारा देकर
    अहिंसा का सहारा लेकर

    सत्य मार्ग प्रशस्त कर
    जन जन को सत्य मार्ग पर लेकर आयें

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    सत्याग्रह , सविनय अवज्ञा
    इन सबका महत्त्व बतायें

    भारत भूमि को हम
    विश्व मंच पर लेकर आयें

    उन वीरों के पुण्य त्याग को
    भावी पीढ़ी तक पहुंचायें

    विश्व विजयी तिरंगा प्यारा
    सब अपने – अपने घर पर फहरायें

    आओ हम वीरों की गाथा गायें
    उनको श्रद्धा सुमन चढ़ायें

    भारत माँ के उन लालों की
    पुण्य विजयी गाथा हम गायें

    – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम

  • वक़्त कभी नाकाम नहीं होता – हिंदी कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    वक़्त कभी नाकाम नहीं होता – हिंदी कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    घड़ी

    वक़्त कभी नाकाम नहीं होता
    दिल दरिया कभी वीरान नहीं होता

    जख्म खाए नहीं जिसने जमाने में
    सदियाँ लगीं उसे मुस्कराने में

    वक़्त का इन्तजार ना कर जालिम
    वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता

    वक़्त को कैद कर अपना बना ले
    गया वक़्त दुबारा नहीं मिलता

    इतिहास लिख धरा पर
    वक़्त के माथे पर तिलक बन

    वक़्त की कद्र करना सीख ले तू
    वक़्त के आँचल में पलना सीख ले तू

    वक़्त का दामन जो तूने छोड़ा तो
    हर प्रयास तेरा नाकाम होगा

    वक़्त के साए में जीना सीख ले तू
    वक़्त के पालने में जीना सीख ले तू

    बना वक़्त को चिरपरिचित मित्र अपना
    वक़्त से सगा कोई मित्र नहीं होता

  • कर्म की राह पर – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    कर्म की राह पर – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कर्म की राह पर
    कर्म का आँचल पकड़
    पथ- प्रदर्शक बन
    ओरों को राहें दिखा

    कर्म की प्रधानता
    बनाती महान है
    सफलता की सीढियां
    चूमती चरण सभी के

    कर्म के महत्व को
    बखानते धर्म ग्रन्थ
    प्रफुल्लित कर मन को
    दिखाते नई राह हैं

    कर्महीन बन धरा पर
    अस्तित्व पर संकट न बन
    जीवन को बंधन मुक्त कर
    कर्म धरा पर उतर

    कर्म कर अर्जुन महान
    कर्म कर गाँधी महान
    कर्म कर अब्दुल महान
    कर्म कर महान बन

    पथ – प्रदर्शक बन सभी का
    कर्म का विधान बन
    कर्म की राह पर
    कर्म का आँचल पकड़

    पथ- प्रदर्शक बन
    ओरों को राहें दिखा