इस धरती पर आये हैं , तो कुछ करके जाना है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस धरती पर आये हैं
तो कुछ करके जाना है
यूं ही अपना ठिकाना
वहां नहीं बनाना है
जीते जी जीत लिया
दिल जो सबका
मरके उसको भी
मुंह तो दिखाना है
भलाई का सिला
हमेशा भलाई होता है
दुनिया को बनाए रखने का
अच्छा यही बहाना है
बुरे दिन तो सभी के
जीवन में आते हैं
अच्छे दिनों में उन्हें
बदलकर हमें दिखाना है
पाप – पुण्य क्या है
यह हमें नहीं मालूम
हमें तो इस धरती को
स्वर्ग बनाना है
इस धरा ने बहुमूल्य
पञ्च तत्वों से हमें बनाया है
यह जीवन हमें
यूं ही नहीं गंवाना है
मुश्किलें आते रहीं
सदियों हमारे जीवन में
उनसे लड़ इस जीवन को
हमें ऊपर उठाना है
संस्कारों में हमें
देना है कुछ ऐसा
चूंकि आज
वैश्वीकरण का ज़माना है
पाने में हमारी
रूचि नहीं है
हमने तो अब तक
केवल देना ही जाना है
सभ्यता ने इस विश्व को
दिया बहुत कुछ
हमें भी इस धरा पर
कुछ तो करके जाना है
इस धरती पर आये हैं
तो कुछ करके जाना है
मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”