Tag *बाल पर कविता

बाल श्रम निषेध दिवस

जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है

जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है नन्ही नन्ही कोमल कायानिज स्वेद बहाते हैं।जीवन के झंझावातों में,श्रमिक  बन जाते है।हाथ खिलौने वाले  देखो,ईंटों को झेल रहे।नसीब नहीं किताबें इनकोमिट्टी से खेल रहेकठिन मेहनत करते है तबदो रोटी पाते है।जीवन…

बाल श्रम निषेध दिवस

बाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ

बाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ: बाल-श्रम का मतलब यह है कि जिसमे कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है।

मैं सो जाऊं – बाल कविता

बाल गीत प्यारे प्यारे सपनों की दुनिया में, मैं खो जाऊं।चंदन के पलने में मुझे झुलाओ, मैं सो जाऊं। ममता का आंचल ओढ़ कर, तेरा राजा बेटा,सुकून भरी नींद में मुझे सुलाओ, मैं सो जाऊं। परियों की दुनिया की सैर,…