पवित्र प्रेम पर कविता

पवित्र प्रेम पर कविता रचनाकार- बाँके बिहारी बरबीगहीया राज्य -बरबीघा बिहार (पुनेसरा ) एक कपोत ने आकर हमसे कह डाले सब प्रेम की बात कुछ लिखो तुम स्वेत पत्र पे और लिखो कुछ अपनी याद मेरे गले में प्रेम पत्र दो उठो चलो तुम मेरे साथ प्रेम विरह में पागल है वो कटती नहीं उनसे … Read more

प्रेम उत्तम मार्ग है पर कविता

प्रेम उत्तम मार्ग है पर कविता अन्नय प्रेम है तुझसे रीतेरे स्वर लहरी की मधुर तान।तुम प्रेम की अविरल धारा होमुख पे तेरी है मिठी मुस्कान ।मेरे मन में बसी है तेरी छवितुम्हें देख के मेरा होय विहान।मैं व्यथित, विकल हूँ तेरे लिएहे प्रिय तुम्हीं हो मेरे प्राण ।शीतल सुरभित मंद पवन भीदेख-देख तुम्हें शरमाई … Read more

बिहार बरबीघा (पुनेसरा) के कवि बाँके बिहारी बरबीगहीया द्वारा रचित कविता तुम और चाँद जो निश्छल प्रेम पर कविता को को दर्शाता है ।।

निश्छल प्रेम पर कविता चाँद तू आजा फिर से पास मेरेबिन तेरे जिन्दगी अधूरी है ।खोकर तुम्हें आज मैंने जाना हैमेरे लिए तू कितनी जरूरी है ।। रूठी हो अगर तो मैं मनाता हूँमाफ कर अब मैं कसम खाता हूँगलती ना होगी अब से वादा हैतेरे कदमों में सर झुकाता हूँ । इश्क है तुमसे … Read more

विरह पर कविता

विरह पर कविता प्रेम में पागल चाँद से चकोर प्यार करे ।उम्र भर देखे शशि को उसका हीं दीदार करे । हिज्र एक पल का भी सहा जाये ना उनसे ।आंसुओं के मोती से इश्क का इजहार करे। हर घड़ी हर पल आँखों में चंदा की चंद्रकला ।चाँद को मन में बसाकर बेशुमार प्यार करे।। … Read more

रामराज्य पर कविता / बाँके बिहारी बरबीगहीया

Jai Sri Ram kavitabahar

रामराज्य पर कविता / बाँके बिहारी बरबीगहीया सप्तपुरी में  प्रथम  अयोध्या जहाँ रघुवर   अवतार  लिए।हनुमत, केवट,  गुह  , शबरीसुग्रीव को हरि जी तार दिए।गौतम की भार्या  अहिल्या कोचरण लगा उद्धार  किए ।मारीच, खर- दूषण , बालीऔर रावन का संहार किए ।आज अवधपुरी में  रघुवरराजा बन कर फिर से आयो।अवधपुरी में  बाजी बधाई रामराज्य   फिर  से  आयो ।। … Read more