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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० बाँके बिहारी बरबीगहीया के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

बाँके बिहारी बरबीगहीया – छठ पर्व आधारित कविता

छठ पर्व आधारित कविता शुक्ल पक्ष पष्ठी  तिथि कोकार्तिक मास में आती है ।सूर्य की प्रिय बहन प्रकृति छठी मईया कहलाती है ।सूर्योपासना का महान पर्व मेंछठी माँ दिव्य रूप दिखाती है।महान व्रत इस छठ पर्व मेंकरतीं छठवर्ती आदित्य का ध्यानप्रभु…

हरि का देश छत्तीसगढ़-बाँके बिहारी बरबीगहीया

हरि का देश छत्तीसगढ़ आर्यावर्त के हृदय स्थल परछत्तीसगढ़ एक नगर महान।कर्मभूमि रही श्रीराम प्रभु कीसंत गाहीरा,घासीदास बड़े विद्वान।संस्कृति यहाँ की युगों पुरानीअदृतीय धरा यह पावन धाम ।यहाँ धर्म की गंगा अविरल बहतीकहता है सब वेद पुराण ।नित दिन बरसे…

नई राह पर कविता- बांकेबिहारी बरबीगहीया

नई राह पर कविता धन को धर्म से अर्जित करनातुम परम आनंद को पाओगे।सुख, समृद्धि ,ऐश्वर्य मिलेगी तुम धर्म ध्वजा फहराओगे।जीवन खुशियों से भरा रहेगायश के भागी बन जाओगे ।अपने धन के शेष भाग कोदान- पुण्य कर देना तुम ।दीन दुखियों…

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा-बाँके बिहारी बरबीगहीया

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा सुबह सवेरे घर से भाग जाना पेड़ की टहनी से गुल्ली डंडा बनाना अमीरी -गरीबी ना छूत अछूत सबके निश्छल हृदय मिल के रहना खाना कितना सुख चैन था ना थी कोई निराशा मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा…

तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है -बाँके बिहारी बरबीगहीया

तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है समझो इस जीवन को ये तो बहती धारा है। प्यार इजहार के लिए वक्त यूँ जाया न कर वक्त के साथ ये तो डूबता…

atal bihari bajpei

अटल जी की स्मृति में कविता – बाके बिहारी बरबीगहीया

अटल जी की स्मृति में कविता  नाम अटल था, काम अटल था,,जीवन भर विश्वास अटल था, साथ अटल सामर्थ्य अटल था,,,जीवन का सिद्धांत अटल था,,याद करे उस महामानव को,,आज हुई नम आँख हमारी,,नाम था जिनका अटल बिहारी ।।नाम था जिनका,,,,,,,,,,,समर अटल…

भगवान परशुराम पर कविता

भगवान परशुराम पर कविता त्रेतायुग के अयाचक ब्राह्मणभगवान विष्णु के छठे अंशावतारतुझे पाकर हे भार्गवधन्य हुआ संसार ।।भृगुवंश की माता रेणुकापिता जिनके जमदग्निसाक्षात प्रभु हे गुरू श्रेष्ठहे हवन कुंड की अग्नि ।।विधुदभि नाम के परशुधारीहे भृगुश्रेष्ठ अमित बलशालीसृष्टि के हरेक…

बाँसुरी बजाये गिरधारी

बाँसुरी बजाये गिरधारी बाँसुरी बजाये गीरधारी ब्रज में भीड़ भारी ।सखी संग नाचे वृषभानु दुलारी ब्रज में भीड़ भारी। बाँसुरी की धुन पे कान्हा गौ भी झूमेकदम की डाली मोहन तेरी पलकें चूमेसाथ गाये कोयलीया काली ब्रज में भीड़ भारी…

कोयल रानी

कोयल रानी ओ शर्मीली कोयल रानी आज जरा तुम गा दो ना।आम वृक्ष के झुरमुट में छुपकर मधुर गीत सुना दो ना।। शीतल सुरभित मंद पवन है और आम का अमृतरस ।आम से भी मीठी तेरी बोली सुनने को जी…

ऋतुराज का आगमन

ऋतुराज का आगमन ऋतुराज बसंत लेकर आयेवसंत पंचमी, शिवरात्रि और होलीआ रही पेड़ों के झुरमुट सेकोयल की वो मीठी  बोली । बौरों से लद रहे आम वृक्षहै बिखर रही महुआ की गंधनव कोपल से सज रहे वृक्षचल रही वसंती पवन…