छत्तीसगढ़ी संस्कृति

छत्तीसगढ़ी संस्कृति दक्षिण कोशल के बीहड़ वन मेंसाल, सागौन की है भरमारसतपुड़ा पठार शोभित उत्तर मेंमध्य है महानदी बस्तर पठारदेखो छत्तीसगढ़ की छटा मनोहरचलो करें हम वन विहार ।।      है छत्तीसगढ़ का खेल ये अनुपम     फुगड़ी,लंगड़ी,अटकन-बटकन      कैलाश गुफा, बमलेश्वरी मंदिर का      देख नजारा खो जाता है मन     ऐसे भव्य प्रदेश में आकर     बाँटू  सभी … Read more

सर्दी मौसम पर कविता

सर्दी मौसम पर कविता वो जाड़े की रात, ओस की बरसात,वो दिन का कुहासा, पढ़ने की आशा,बासंती पवन, मस्त होता है मन,वो ताजी हवाएं ,ये महकी फिजायेंबहुत खूब भाता है सर्दी का मौसम ।। सर्द जाड़े की आग, मालकौस की राग,वो धान की कटनी , पुदीने की चटनी,वो सरसों का साग, ठंड रातों का आग,वो … Read more

प्रिय का अनुपम श्रृंगार

प्रिय का अनुपम श्रृंगार चंदन, कालीयक, अंगरू, सुगंध मिल,क्या खूब बना है अंगराग।स्नान के जल पुष्प से सुरभित,लो कर लिए तुमने जलविहार,देख मेरा मन बोल उठा अब,प्रिय का अनुपम श्रृंगार ।। केसर,कमल,मंदार,शिरीष सब,शरीर की सज्जा बढ़ाती है,मुंह सुगंधित करने को तूम,तांबुल, पान जो खाती है,कानों में शोभित है झुमके,शोभ रहा नौलखा हार,देख मेरा मन बोल … Read more

मेरी प्यारी बहन पर कविता

मेरी प्यारी बहन पर कविता आज तेरी विदाई है मेरी प्यारी बहन ।अपनों से जुदाई है मेरी प्यारी बहन आज तेरी विदाई है मेरी प्यारी बहन। याद आते हैं वो प्यारे दिन,,जब तू जातीं थी मुझसे झगड़,,बाँध आँखों पे पट्टी मेरी,,कहती आ अब मुझे तू पकड़,सुन ना जा अब मुझे छोड़कर मेरी प्यारी बहन ।जान … Read more

हे दिवाकर तुम्हें प्रणाम

हे दिवाकर तुम्हें प्रणाम हे दिनकर ,दिवाकर,भानु,भास्कर,हे आक,आदित्य,दिनेश,मित्र,,हे सूर्य,अरुण,अंशुमालि,पतंग,हे विहंगम,प्रभाकर तू मार्तण्ड,इन्हीं ढेरों नाम में तेरा और है एक रवि नाम।हे दिवाकर तुम्हें प्रणाम, हे प्रभाकर  तुम्हें प्रणाम ।। इस श्रृष्टि में जब मेरा अस्तित्व नहीं था,हे मित्र।जब से मैं अस्तित्व में आया देखु तेरा,साक्षात चित्र।अद्भुत प्रकाश से दुनिया में उजाला करते हो,हे अंशुमालि।संसार को … Read more