हिंदी संग्रह कविता-कोटि-कोटि कंठों ने गाया

कोटि-कोटि कंठों ने गाया कोटि-कोटि कंठों ने गाया, माँ का गौरव गान है,एक रहे हैं एक रहेंगे, भारत की संतान हैं। पंथ विविध चिंतन नाना विधि बहुविधि कला प्रदेश की,अलग वेष भाषा विशेष है, सुन्दरता इस देश की।इनको बाँट-बाँटकर देखें, दुश्मन या नादान हैं। कोटि-कोटि मझायेंगे नादानों को, सोया देश जगायेंगे।दुश्मन के नापाक इरादे, जड़ … Read more

देश पर कविता

देश पर कविता हे ! मातृभूमि तेरी रक्षा में,हम अपना प्राँण लुटाएंगे।तन-मन-धन सब अर्पित कर,हम तेरा मान बढ़ाएंगे। देश के खातिर कफन बाँधके, सरहद पर सब डट जाएँगे। समय आए जब आहुति का, तब प्राँण होम कर जाएंगे। पले-बढ़े जिस धरती पर,अन्न जहाँ का खाया है।खून सींचकर हम अपनी,फर्ज धरा का निभाएंगे। रविबाला ठाकुर स./लोहारा, … Read more

मेरा सपना सबकी खैर

देश की एकता व समभाव प्रस्तुत करती कविता