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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०दूजराम साहू के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

कैसे जाल बिछाया है कोरोना

कैसे जाल बिछाया है कोरोना कैसे जाल बिछाया है ?तूने रे कोरोना!हाहाकार मचा दिया है,हो रही है रोना !!कोरोना बोला सुन रे मानव,छोड़ दिया तूने अपनी संस्कृति,संस्कार भी भुला दिया !हाय हलो कर हाथ मिलाकर,रोगो को फैला दिया !!खान पान…

आह्वान पर कविता -डाक्टर को सारी बात बताये

आह्वान पर कविता जब भी होवे वाइरस संक्रमण,सर्दी-जुकाम से पिड़ित तन !सांस लेने में होय परेशानी, सहज बात न समझे हम !!कफ खांसी की जांच कराये, डाक्टर को सारी बात बताये !संकोच घबराने की बात नहीं, सावधानी की राह अपनाये…

चुनाव में होगा दंगल-दूजराम साहू

चुनाव में होगा दंगल अब होगा दंगल,गाँव-गाँव, गली-गली !!बजेगा बिगुल चुनाव की,गाँव- गाँव, गली-गली !! लोकतंत्र की महापर्व में,काफिले खूब चलेंगे!न दिखेगा अबीर का रंग,चुनावी रंग चढ़ेंगे !!लुभावने, छलावे की,मंत्रोच्चार होगी गली-गली ! पांव पकड़ेंगे दीन का भीयाचक बन वोट…

बेटी की व्यथा पर कविता -दूजराम -साहू

बेटी की व्यथा पर कविता करूण रस – अब न जन्मूँ “वसुंधरा” में, कर जोर विनती कह रही !सूर – कबीरा के “धरा” में,देखो “बेटी” जुल्म सह रही !! यहाँ – वहाँ, जाऊँ – कहाँ, पग – पग में बैठा…

आधुनिक शिक्षा पर कविता

आधुनिक शिक्षा पर कविता                             सिसक-सिसक कर रोती है बचपन !  आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन!!          पढ़ाई की इस अंधाधुंध दौर में ,बचपन ना…

पेरा ल काबर लेसत हो

पेरा ल काबर लेसत हो तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !! मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !पेरा…

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता चलो नवा सुरुज परघाना हे छत्तीसगढ़ राज्य पायेहनचलो नवा सुरुज परघाना हे !भारत माता के टिकली सहिक….छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !! जेन सपना ले के राज बने हेसाकार हमला करना हे!दिन -दुगनी ,रात -चौगुनीआगे…

संयुक्त राष्ट्र पर कविता- दूजराम साहू

संयुक्त राष्ट्र पर कविता आसमान छूने की है तमन्ना, अंधाधुंध हो रहे अविष्कार! चूक गए तो विनाशकारीसफलता में जीवन उजियार! !  विज्ञान वरदान ही नहीं, अभिशाप भी है, कहीं नेकी करता तो कहीं पाप भी है! उन्नति में लग जाए तोकर दे भव से…

प्रदुषण से बचाना होगा

प्रदुषण से बचाना होगा   महकती धरा  को प्रदुषण से बचाना होगा इस नवरात्रि में एक मुहीम चलाना होगा, महकती धरा को प्रदुषण से बचाना होगा! भिन्न- भिन्न धर्म यहाँ, भिन्न- भिन्न मज़हब है, भिन्न- भिन्न प्रदुषण से इसे बचाना होगा! सघनता…

कर डरेन हम ठुक-ठुक ले

कर डरेन हम ठुक- ठुक ले पुरखा के रोपे रूख राईकर डरेन हम ठुक-ठुक  ले.. ……नोहर होगे तेंदू चार बर..जिवरा कईसे करे मुच-मुच ले… ताते तात के जेवन जेवईया ,अब ताते तात हवा खावत हन ..अपन सुवारथ के चक्कर म,रूख…