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Hindi poem on food

  • शाकाहारी जीवन / विजय मिश्र दानिश

    शाकाहारी जीवन / विजय मिश्र दानिश

    गीत
    मात्र भार 16/11, सरसी छंद पर आधारित
    शाकाहारी सर्वोतम उपहार

    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।
    मांसाहारी शान समझते,करे दुखो का भोग।।
    1
    कुदरत ने सब कुछ बख्शा है,पर दुखिया इन्सान।
    पीजा बर्गर अच्छा लगता,रोग बना पहचान।
    हरि सब्ज़ीयां खाओगे तो, होओगे बलवान।
    नॉनवेज खाकर के बन्दे, हो जाते बेजान।
    इसी लिए मैं कहता जग से, नित्य करो सब योग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।
    2
    गाजर, भिन्डी, बैगन, पालक, सबके पालनहार,
    बकरा, भैसा, मछली, मुर्गा, रोगों का है द्वार।
    भला तामसी इन्सानों का, कैसे हो उद्धार।
    नफ़रत इनके दिल में पलती, कौन करेगा प्यार।
    बहुत कठिन है जीवन उनका, मुश्किल लगता जोग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।
    3
    झूठी सच्ची शान दिखाते, बेचे अपना दीन।
    इन राहों पर जो भी चलता, खोता वही यक़ीन।
    भारत वालो तुम तो समझो, छोड़ो लंदन चीन।
    पश्चिम वाले भी अब देखो,बजा रहे हैँ बीन।
    विश्व गुरू है भारत सबका,ज्ञान बाँटते लोग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।

    विजय मिश्र दानिश
    जयपुर, राजस्थान
    स्टेज, रेडियो, टीवी, फ़िल्म कलाकार, अभिनेता, निर्देशक, लेखक, कवि, शायर

  • शाकाहार पर दोहे/ डॉ सुकमोती चौहान रुचि

    शाकाहार पर दोहे/ डॉ सुकमोती चौहान रुचि

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    रोटी चावल दाल है, मानव का आहार।
    शाकाहारी बन मनुज, जीवन का आधार।।

    केवल शाकाहार ही, मनु शरीर अनुकूल।
    पोषक तत्वों से भरा, होता सब्जी मूल।।

    शाकाहारी भोज से, बढ़ता सात्विक भाव।
    हो विकास बल बुद्धि का, मिटता मन का ताव।।

    शाकाहारी भोज ही, होता अति स्वादिष्ट।
    कंदमूल फल फूल में, पोषक तत्त्व विशिष्ट।।

    सरस्वती बसती सदा, मानव जिह्वा मध्य।
    सेवन कर मत मांस का, कहती रुचि निज पद्य।।

    राक्षस करते मांस का, भक्षण हे इंसान।
    तू मानव है इसलिए, खाना नहीं विधान।।

    डॉ सुकमोती चौहान रुचि

  • शाकाहारी जीवन / देवेंद्र चरण खरे आलोक

    शाकाहारी जीवन / देवेंद्र चरण खरे आलोक

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहारी जीवन करें व्यतीत

    जन्म हुआ मानव का लेकर ,सौम्य प्रकृति आधार।
    तृण- तृण इसके रग- रग में है,रचता रहता सार।
    अंग सभी प्रत्यंग सजे हैं,सात्विक शक्ति शरीर,
    मन का मनका प्रस्तुत करता ,मन ही मन आभार।

    है विकास के पथ पर चलता,रज कण लिए शरीर।
    मज्जा रक्त अस्थियां पोषण,पाने हेतु अधीर।
    हारमोन है घ्रेलिन नामक, बढे़ भूख आहार,
    सम्यक नींद पचाए भोजन,पानी और समीर।

    उगें प्राकृतिक अन्न सब्जियां,धरती से भरपूर।
    डाली- डाली लदी आम ,अमरूद और अंगूर।
    युक्त फाइबर और विटामिन,कार्बोहाईड्रेट ,
    हैं समृद्ध पोषक तत्वों से,उर्जा रहे न दूर।

    धरती हरित नील अंबर से, प्रकृति सुहानी भव्य।
    है उत्पन्न शरीर इसीसे ,यही सजाते हव्य।
    क्षुधा शक्ति भोजन पानी रस,स्वाभाविक हो पान,
    पाचन करती सरल सुलभ तन, सृजित कराती द्रव्य।

    फोलिक एसिड मैगनीशियम ,प्रकृति करे उपकार।
    सभी फाइटो युक्त केमिकल, मिलते शाकाहार।
    कोलोस्ट्राल ह्रदय उद्वेलन,रक्तचाप संपीर,
    संवेदन रोगों के खतरे ,मानव करता पार।

    दूध दही मक्खन फल मेवे,प्रोटीनों के साथ।
    दालें कद्दू बीज और तिल,फलियां छोले क्वाथ।
    औषधि जडी़ बूटियां होतीं, पाचन के अनुरूप,
    स्वस्थ चित्त हों शाकाहारी,भारत के हर हाथ।

    सभी सशक्त और नीरोगी ,होते रहे अतीत।
    प्रकृति विहारी सभी मनस्वी ,ग्रन्थकार सुपुनीत।
    बलशाली कुश्ती वाले हैं ,विश्व विजेता पुष्ट,
    स्वस्थ समुन्नत शाकाहारी ,जीवन करें व्यतीत ।

    देवेंद्र चरण खरे आलोक

  • शाकाहारी भोजन/ हरि प्रकाश गुप्ता

    शाकाहारी भोजन/ हरि प्रकाश गुप्ता

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहारी भोजन अपनाइए

    भोजन अपनी अपनी पसंद का सभी का होता है।
    कोई मांसाहारी तो कोई शाकाहारी होता है ।।
    कुछ कहते मांसाहारी अच्छा होता है।
    कोई शाकाहारी को अच्छा कहता है ।।
    अपनी अलग-अलग सोच पर सभी कुछ निर्भर करता है।
    कहते हैं और सुना जंगली जानवर
    मांसाहारी होते हैं।
    फिर इंसान शाकाहारी छोड़
    क्यों मांसाहारी होते हैं।।
    शाकाहारी भोजन कर जीव जंतु की रक्षा बहुत जरूरी है।
    जीव जंतु का मांस खाना नहीं कोई मजबूरी है।।
    ईश्वर ने हमको जन्म दिया और खूबसूरत
    खेत – खलिहान दिए।
    सभी किसानों ने मिलकर अन्न उसमें उगाने का काम किए ।।
    एक से बढ़कर बिटामिन भरपूर
    प्रकृति ने हमें खाने का सामान दिया।
    फिर न जाने कैसे और क्यों हमने मांस खाना शुरू किया।।
    जिस जीव जंतु को मारा जाता
    उसका दर्द कभी सुनकर देखो।
    मांसाहारी छोड़ कोई तो शाकाहारी बनकर तो देखो।।
    तड़पा तड़पा कर जीव-जंतु को मारना ठीक नहीं है।
    अपने स्वादिष्ट भोजन के खातिर उन्हें
    मारना उचित नहीं है।।
    शाकाहारी भोजन ईश्वर को भी खूब भाता है।
    जीव जंतु को मारकर खाना
    ईश्वर नाराज हो जाता है।।
    सबसे बढ़िया सबसे अच्छा शाकाहारी भोजन अपनाइए।
    मांसाहारी छोड़ अपने को शाकाहारी बनाइए।।
    भोजन अपनी अपनी पसंद का सभी का होता है।
    कोई मांसाहारी तो कोई शाकाहारी होता है ।।

    हरि प्रकाश गुप्ता “सरल”
    भिलाई छत्तीसगढ़

  • शाकाहारी भोजन / मधु वशिष्ठ

    शाकाहारी भोजन / मधु वशिष्ठ

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहारी भोजन

    यह भोजन जो तुमने खाया है।
    क्यों किसी निरीह पशु को तड़पाया है?

    क्या उसके दर्द भी बढ़कर थी भूख तुम्हारी।
    जिव्ह्या का स्वाद क्या उसके जीवन से ज्यादा अनमोल था?

    उन्हें प्लेट में सजा कर खाते हुए क्या तुम्हें नहीं कोई क्षोभ था?

    माना इस खाने से तुम्हें पोषण तो मिलेगा?
    लेकिन क्या उन निरीह जानवरों के चीत्कार का फल न मिलेगा?

    क्या मानवता के हनन का कोई पाप तुमको तो न लगेगा?
    इस सहज क्रूर व्यवहार के कारण तुमने तामसिकता का भाव तो ना जगेगा?

    समझ नहीं आता सहज ही किसी को दुख देने के बाद चैन तुम्हें कैसे मिलेगा?
    पाप का घड़ा है कभी तो भरेगा।

    वह निर्दोष जानवर जिन्होंने जन्म लेने के सिवा कोई गुनाह ही नहीं किया।
    उनका यह हाल है तो सोच के देखो कभी कि परमात्मा फिर तुम्हारा क्या हाल करेगा?

    मधु वशिष्ठ फरीदाबाद हरियाणा