Tag kavita in hindi for singing

An anthem consisting of voice, verse and rhythm is called a song. The song is a popular Bhagya genre. It has a mouth and a few nerves. The mouth is repeated after each interval. The song is sung.

सखी रे तीज पर्व आया है( दूजराम साहू)

सखी रे तीज पर्व आया है सखी रे तीज पर्व आया है,भाई उपहार लाया है !गुँज रहीं सारी गलियाँ,बचपन याद आया है !! बरसों बाद मिलीं सखियाँ ,पुरानी बातें याद आयी !हँसी – ठिठोली कर रही है,देखों फिर बचपन आया…

हल्दीघाटी एकलिंग दीवान…

हल्दीघाटी एकलिंग दीवान बाबूलालशर्मा *विज्ञ* मन करता है गीत लिखूँ मैं,एक लिंग दीवाने पर।मातृ भूमि के रक्षक राणा,मेवाड़ी परवाने पर।।✍१चित्रांगद का दुर्ग लिखूँ जब,मौर्यवंश नि: सार हुआ।मेदपाट की पावन भू पर,बप्पा का अवतार हुआ।कीर्ति वंश बप्पा रावल के,मेवाड़ी पैमाने पर।मन…

manibhai Navratna

मनीभाई नवरत्न की गीत

मनीभाई नवरत्न की गीत आंखों से दूर हो दिल से दूर नहीं आंखों से दूर हो, दिल से दूर नहीं ।।तुम बुला लो फिर ,हम हो जाएंगे हाजिर।। मन तड़पता है तेरी यादों में,होश मेरा जब खोता है।चैन ढूंढता है…

manibhai Navratna

मनीभाई नवरत्न के गीत

मनीभाई नवरत्न के गीत ओ मतवाले अपनी जिंदगी को मौत से मिला ले ।ओ मतवाले ओ दिलवाले।खुद को कर दे देश के हवाले ।ओ मतवाले ओ दिल वाले ।। ये मिट्टी हमारी जन्नत है ।ये मिट्टी हमारी दौलत है ।ये…

दम्भ पर कविता – बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

दम्भ पर कविता घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।। काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन विनाश गान खगरोम की तरह…

दीप पर कविता

दीप पर कविता ओ दीप ! तुझे मन  टेर रहा है । प्यासे  मृग-सी  अँखियाँ  लेकर पवन-पथिक को चिट्ठियाँ देकर पथ   भटके   बंजारे   के   ज्यों पल-पल   रस्ता   हेर   रहा   है । ओ दीप ! तुझे  मन  टेर रहा है ।…

नौका पर कविता

नौका पर कविता मँझधारों में माँझी अटका,क्या तुम पार लगाओगी।जर्जर नौका गहन समंदर,सच बोलो कब आओगी। भावि समय संजोता माँझीवर्तमान की तज छाँयाअपनों की उन्नति हित भूलाजो अपनी जर्जर कायाक्या खोया, क्या पाया उसनेतुम ही तो बतलाओगी।जर्जर ………………. ।। भूल…

पंछी पर कविता

पंछी पर कविता यह,मन प्यासा,पंछी मेरानील गगन उड़ करे बसेरा ।पल मे देश विदेशों विचरण,कभी रुष्ट,पल मे अभिनंदन,*प्यासा पंछी, उड़ता मन।।* पल में अवध,परिक्रम करता,सरयू जल अंजुलि में भरता।पल में चित्र कूट जा पहुँचे,अनुसुइया के आश्रम पावन,*प्यासा पंछी, उड़ता मन।।*…