संस्कृति पर कविता

संस्कृति पर कविता अपनी संस्कृति अपनाओ,अपना अभिवादन अपनाओ!जब भी मिले दूसरो से ,हाथ जोड़ मुस्कुराओ !!हाथ जोड़ मुस्कुराओ,कोरोना दूर भगाओ!हाथ धोये साबुन सेथोड़ा न घबराओ !!कहे दूजराम पुकार के ,सावधानी अपनाओ!खांसते मास्क लगाओकोरोना दूर भगाओ !! दूजराम साहूनिवास -भरदाकलातहसील -खैरागढ़जिला- राजनांदगाँव (छ.ग. )

साथ-साथ पर कविता- रामनाथ साहू ननकी

साथ-साथ पर कविता सम्मुख यूँ बैठो रहो ,जीवन जाये बीत ।मुक्त भाव से गा सकें ,सिर्फ प्यार के गीत ।।सिर्फ प्यार के गीत ,गढ़ें हम गीत वफा के ।मानस अंकित चित्र ,चले हम इसी अदा से ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,सहेंगे हर इक सुख दुख ।सपने होंगे सत्य ,रहो जो मेरे सम्मुख ।। ~ रामनाथ … Read more

कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा

कुण्डलिया शतकवीर – बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन चले जवानी!कहे लाल कविराय, नारि इठलाती चलती!कटि पर वेणी साज, धरा पर सरिता मिलती! २. *कुमकुम* माता पूजित भारती , अपना हिन्दुस्तान!समर क्षेत्र पूजित सभी, … Read more

नेक काम पर कविता

नेक काम पर कविता आये हो संसार मे, नेक काम कर जाय।विपदा आफत टाल कर,सब की करे सहाय।सब की करे सहाय,प्रभु ने लायक बनाया।मेहर उस की होय,खुशिया जी भर लुटाया।कहै मदन कर जोर, यही से सब कुछ पाये।दाता को लौटाय, नाम करने तुम आये।। मदन सिंह शेखावत ढोढसर

चितवन पर कविता

चितवन पर कविता चंचल चर चितवन चषक, चण्डी,चुम्बक चाप्!चपला चूषक चप चिलम,चित्त चुभन चुपचाप!चित्त चुभन चुपचाप, चाह चंडक चतुराई!चमन चहकते चंद, चतुर्दिश चष चमचाई!चाबुक चण्ड चरित्र, चाल चतुरानन चल चल!चारु चमकमय चित्र, चुनें चॅम चंदन चंचल! *चंडक~चंद्र, चॅम~मित्र, चष~दृश्य शक्ति, चप~चूने का घोल*•. •••••••••रचनाकार -✍©बाबू लाल शर्मा,बौहरासिकंदरा,दौसा, राजस्थान°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°