यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० मदन सिंह शेखावत के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।
डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
गुरु बिन जीवन व्यर्थ
गुरु बिन जीवन व्यर्थ है ,गुरु है देव समान। नित्य करे गुरु वन्दना,गुरु का कर नित मान। गुरु का कर नित मान,ज्ञान की राह दिखाये। देकर मंत्र कमाल , जगत से पार लगाये। कहै मदन कर जोर,कर ले ढूंढना अब शुरु। सच्चा गुरु पहचान,व्यर्थ है जीवन बिन गुरु।।
भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।
डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
गुरु महिमा कुण्डलिया
गुरु बिन जीवन व्यर्थ है ,गुरु है देव समान। नित्य करे गुरु वन्दना,गुरु का कर नित मान। गुरु का कर नित मान,ज्ञान की राह दिखाये। देकर मंत्र कमाल , जगत से पार लगाये। कहै मदन कर जोर,कर ले ढूंढना अब शुरु। सच्चा गुरु पहचान,व्यर्थ है जीवन बिन गुरु।।
दोहा
गुरु बिन ज्ञान मिले नही, कैसे हो उद्धार। मार्ग कठिन आध्यात्म का,होय सहज सब पार।।
गुरु की कर नित बन्दगी,मार्ग सुक्ष्म दरशाय। पकड़ डोर भव पार हो,महिमा गुरु बतलाय।।
दूर भगाये तिमिर को,देकर हमको ज्ञान। मेट गुरु अंधकार को,मनुज देय पहचान।।
मानव तन को पाय कर,किया न गुरु से प्यार डूबे वो मझधार में, भव सागर कब पार।।
आये हो संसार मे, नेक काम कर जाय। विपदा आफत टाल कर,सब की करे सहाय। सब की करे सहाय,प्रभु ने लायक बनाया। मेहर उस की होय,खुशिया जी भर लुटाया। कहै मदन कर जोर, यही से सब कुछ पाये। दाता को लौटाय, नाम करने तुम आये।।