रेंगा प्रतियोगिता : सुख व दुःख जीवन के दो रूप

रेंगा प्रतियोगिता दिनांक : 13 मई 2017 सुख व दुःखजीवन के दो रूपछाँह व धूप □ प्रदीप कुमार दाश दीपकदोनों रहते साथकर्मों के अनुरूप □ मधु सिंघीसच्चे हों कर्मसब तो तेरे हाथफिर क्यों चुप □ मनीलाल पटेलप्रकृति के नियमदुःख के बाद सुख □ गीता पुरोहितहवा ने कहापतझड़ का दुखसहते रहो □ देवेन्द्रनारायण दासइसी ताने बाने … Read more

कोरोना को नहीं बुलाओ

कोरोना को नहीं बुलाओ पटाखों का मोह छोड़कर दीवाली में दीप जलाओ।प्रदूषण फिर से फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। हरसाल दिवाली आयेगी हम सबको यह हर्षायेगी।खुशियों पर पैबंद लगाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। बच्चे, बुजुर्ग और जवान हमारे घर की सभी है शान।डर स्वास्थ्य का फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। मानव जाति पर बन आई … Read more

प्रकृति पर कविता

प्रकृति पर कविता सप्त सुरीला संगीत है , प्रकृति का हर तत्व । सजा देता यह जीवन राग, भर देता है महत्त्व। एक एक सुर का अपना ,अलग ही अंदाज है । समझना तो पड़ेगा हमें ,अब तो इसका महत्व ।। समय आने पर सब कुछ जता देती है ये हमें कहीं गुना ज्यादा राज … Read more

यह समय है सोच का-मधुसिंघी

यह समय है सोच का भाग रहा मानव से मानव , डर समाया मौत का।कोरोना वायरस ले आया , एक साया खौफ का।।मनु पड़ गया उलझन में , कैसे बचूँ इस विपदा से।भीड़ में हुआ अकेला , विश्वास नहीं है और का।। प्रकृति पर हो गया हावी , सोचा यह तो मुट्ठी में।चाँद पर घूम … Read more