खुद की तलाश पर कविता-मनोज बाथरे

खुद की तलाश पर कविता जिंदगी में भीकैसे कैसेमोड़ आते हैंजिनमें कुछ लोगतो अपनीअलग पहचानबना लेते हैंऔर कुछ लोगगुमनामी के अंधेरों मेंको जाते हैंऔर फिरखुद की तलाशकरतें हैं।।

खामोशियों पर कविता

खामोशियों पर कविता अपनी भावनाओं मेंख़ामोश विचारों सेरखकरमन को दूर देखामौन दरख्तो कोसिसकते हुए देखाहृदय से बिछुड़ती हुईभावनाओं की भावनाको देखाजो तलाश रही थीउन खामोशियों मेंअपनों को।।

इंतजार पर कविता

इंतजार पर कविता इंतजार है हमकोसुनहरे ख्वाबों कोहकीकत मेंबदलने काइंतजार है हमकोअपने अरमानों कोकुछ कर दिखाने काइंतजार है हमकोइस जहां कोसतरंगी बनाने कायह इंतजारसमय आने तकजारी रहेगा।।

हमारे लिए पर कविता

हमारे लिए पर कविता तुम हमारेलिए क्या होऔरहम तुम्हारे लिएक्या हैये दोनों एक दूसरे केपूरक हैंसिक्के के दो पहलूकी तरहहम तुम्हारे लिएजीते हैंऔरतुम हमारे लिएयही इस जहां कायथार्थ है।।