नाम पर कविता

नाम पर कविता अक़्सर मुझेमेरे कानों मेंसुनाई दे जाती हैमेरे नाम से पुकारती हुईमेरी दिवंगत माँ की आवाज़और घर के दूसरे कमरे में सो रहेबाबूजी की पुकार माँ की पुकार सुनमहज़ अपना वहम समझकरमौन संतुष्ट हो जाता हूँ पर जब जब बाबूजी केपुकारने की आवाज़ आती हैमेरे कानों में,हड़बड़ाकर चला जाता हूँउनके कमरे मेंऔर पूछता … Read more

मित्रों तोड़ो मौन पर कविता

मित्रों तोड़ो मौन पर कविता जब-जब निर्वात-मौनसम्प्रेषणहीन होकरपड़ा होता है लाचारतब-तबवाणी का स्वरमाध्यम बनकरजोड़ता हैदिलों के दो पुलों को जब-जब बर्फ़ीला-मौनजम जाता हैमाइनस डिग्री परतब-तबबर्फ़-सी जमी मौन के कणों कोअपनी ऊष्मा सेपिघलाती हैध्वनि-मिश्रित साँसों की गर्मी जब-जब अपाहिज-मौनरुक जाता है-ठहर जाता हैचलने में होता है असमर्थतब-तबशब्दों की बैशाखीथामकर मौन की ऊँगलीपग-पग आगेबढ़ाता है ज़बान तक मित्रों ! … Read more

थूकना और चाटना पर कविता

थूकना और चाटना पर कविता उसके मुँह के सारे थूंकअब सूख चुके हैं ढूंढ-ढूंढकर वहपहले थूंके हुए जगहों पर जाकरउन थूंको को चाटकरफिर से गीला कर रहा है अपना मुँह उन्हें अपने किए ग़लतीका एहसास हो चुका है अब बेहद पछतावा है उसेकि आखिर बात-बात परक्यूं थूंका करता था ? आख़िर उसे ही अबअपना ही … Read more

कितना कुछ बदल गया इन दिनों…

कितना कुछ बदल गया इन दिनों… देशभक्ति कभी इतनी आसान न थीसीमा पर लड़ने की जरूरत नहींघर की चार दीवारी सीमा मेंबाहर जाने से ख़ुद को रोके रहना देशभक्ति हो गई ऑफिस जाने की जरूरत नहींबिना काम घर में बैठे रहना हीआपकी कर्तव्यनिष्ठा,त्याग और समर्पण का प्रमाण हो गया मलूकदास जीबड़े ही मर्मज्ञ और दूरदर्शी संत … Read more

आलसी पर कविता

आलसी पर कविता मेरे अकेले में भी कोई आसपास होता है।तुम नहीं हो पर तुम्हारा आभास  होता है।1। बिखर ही जाता है चाहे कितना भी संवारोबस खेलते  रहो जीवन एक ताश होता है।2। जरूरतमंद तो आ ही जाते हैं बिना बुलाएआपकी जरूरत में आए वही ख़ास होता है।3। दिनभर भीड़ में शामिल होने के बाद रोजमन मेरा हर शाम  जाने क्यूँ उदास … Read more