पुराने दोस्त पर कविता
हम दो पुराने दोस्त
अलग होने से पहले
किए थे वादे
मिलेंगे जरूर एक दिन
लंबे अंतराल बाद
मिले भी एक दिन
उसने देखा मुझे
मैंने देखा उसे
और अनदेखे ही चले गए
उसने सोचा मैं बोलूंगा
मैंने सोचा वह बोलेगा
और अनबोले ही चले गए
उसने पहचाना मुझे
मैंने पहचाना उसे
और अनपहचाने ही चले गए
वह सोच रहा था
कितना झूठा है दोस्त
किया था मिलने का वादा
मिला पर
बोला भी नहीं
मुड़कर देखा भी नहीं
चला गया
बिलकुल वही
मैं भी सोच रहा था
कितना झूठा है दोस्त
किया था मिलने का वादा
मिला पर
बोला भी नहीं
मुड़कर देखा भी नहीं
चला गया
हम दोनों
एक-दूसरे को झूठे समझे
हम दोनों
वादा खिलाफी पर
एक-दूसरे को जीभर कोसे
इस तरह हम
दो पुराने दोस्त मिले।
— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
975585247