यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०डा० डॉ एन के सेठी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
माता दुःखनिवारिणी ,सभी सुखों की धाम। सिद्धिदात्री रूप नवम,छविअम्बाअभिराम।। छवि अम्बा अभिराम, करो मात आराधना। करती भव से पार ,शक्ति की करो साधना।। कहता कवि करजोरि, छूटता दुख से नाता। करता है जो भक्ति , मुक्ति देती है माता।। ???? करता है जो मात की, जप तप पूजा ध्यान। करती देवी भक्त के , कष्टों का अवसान।। कष्टों का अवसान , हो पूरण हर कामना। चतुर्भुजा हे मात , सभी करें हम साधना।। कहत नवल करजोरि,ध्यान जो माँ काधरता। मिलतीशक्तिअपार,भक्ति जो माँ की करता।।
महागौरी पर कविता : हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। माँ दुर्गा पर कविता बहार की एक कुंडलियाँ – महागौरी
महागौरी पर कविता (कुंडलियाँ)
महागौरी शुभंकरा , देवी अष्टम रूप। सौम्य कांत स्वरूप है , माँ कीशक्तिअनूप।। माँ की शक्ति अनूप , हे मात विघ्नहारिणी। चतुर्भुज शान्त रूप , माँ श्वेतवस्त्रधारिणी।। कहता कवि करजोरि,दीर्घ होजीवन डोरी। रहे शांति सद्भाव , हे अम्बा महागौरी।।
माता गौरी हे शिवा ,करे सदा उपकार। माँ ऋद्धिसिद्धिदायिनी , करो कष्ट से पार।। करो कष्ट से पार , माँ हर रूप में साजे। एक हाथ त्रिशूल , दूसरे डमरू बाजे।। कहत नवल करजोरि,अम्ब हैभाग्यविधाता। रखती सबका ध्यान , शिवा हे गौरी माता।।
मात भवानी सिद्धिदा , दूर करे त्रय ताप। कालरात्रि माँ पुण्यदा , हरे सभी के पाप।। हरे सभी के पाप , माँ भव सागर तारिणी। हे शूलपाणि मात , चण्डमुण्ड संहारिणी।। कहता कवि करजोरि ,भद्रकाली वरदानी। कर दो भय से मुक्त, हे कृष्णा माँ भवानी।। ???? मात हेशक्तिशालिनी, हम पर कर उपकार। रक्तबीज संहारिणी , कर आपद संहार।। कर आपद संहार , अम्ब हे विघ्ननाशिनी। खड़ग धारती हाथ , मात हे पुण्यदायिनी।। कहत नवल करजोरि,माँ स्वस्थ रहे हरगात। हरो सभी संताप , हे खड़ग धारिणी मात।।
माता दानव घातिनी , हरो सभी के पाप। होय दूर माँ जगत के , रोग शोक संताप।। रोग शोक सन्ताप , माता हे कात्यायनी। कालहारिणी अम्ब , आदि शक्ति वरदायनी।। कहताकवि करजोरि,मात के गुण जो गाता। करती संकट दूर , हे भवतारिणी माता।। ???? अम्बे हे कात्यायनी , करती है भव पार। मात भवानी चण्डिका , देवी सिंह सवार।। देवी सिंह सवार , आज्ञाचक्र माँ साजे। करे असुर संहार , अम्ब घट घट में राजे।। कहत नवल करजोरि ,सुनो माँ हे जगदम्बे। दो हमको आरोग्य , जग हो स्वस्थ माँअम्बे।।