सावन के दोहे/ नरेन्द्र वैष्णव “सक्ती”

सावन के दोहे/ नरेन्द्र वैष्णव "सक्ती"

नरेंद्र वैष्णव जी का “सावन के दोहे”” काव्य विशेष रूप से उनकी कविताओं में एक प्रमुख पहलू हैं। वे उत्तर भारतीय संस्कृति और भारतीय जीवन-दर्शन को अपनी कविताओं में प्रकट करने वाले प्रमुख कवि रहे हैं। सावन के दोहे/ नरेन्द्र वैष्णव “सक्ती” बारिश की यादें लिए , सिसके सावन देख ।वर्णन करना चाहता , काव्य … Read more

सावन पर कविता

किसान खेत जोतते हुए

सावन-सुरंगा सरस-सपन-सावन सरसाया ।तन-मन उमंग और आनंद छाया ।‘अवनि ‘ ने ओढ़ी हरियाली ,‘नभ’ रिमझिम वर्षा ले आया । पुरवाई की शीतल ठंडक ,सूर्यताप की तेजी, मंदक । पवन सरसती सुर में गाती ,सुर-सावन-मल्हार सुनाती । बागों में बहारों का मेला ,पतझड़ बाद मौसम अलबेला । ‘शिव-भोले’ की भक्ति भूषित ,कावड़ यात्रा चली प्रफुल्लित । … Read more

उफ! ये सावन जब भी आता है

उफ! ये सावन जब भी आता है

“उफ!ये सावन जब भी आता है” वो बचपन की मस्ती,वो तोतली बोली,वो बारिश का पानी,और बच्चों की टोली,वो पहिया चलाना और नाव बनाना,माँ का बुलाना और हमारा न आना,वो अनछुए पल याद दिलाता है “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।1।। लड़कपन में लड़ना और फिर मचलनादोस्तों का मनाना हमें फिर मिलानामैदान के कीचड़ में गिरना-गिरानाऔर … Read more