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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० पुष्पा शर्मा कुसुम के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

morning

प्रातःकाल पर कविता

प्रातःकाल पर कविता श्याम जलद की ओढचुनरिया प्राची मुस्काई।ऊषा भी अवगुण्ठन मेंरंगों संग नहीं आ पाई। सोई हुई बालरवि किरणेअर्ध निमीलित अलसाई।छितराये बदरा संग खेलेभुवन भास्कर छवि छाई। नीड़ छोड़  चली अब तोपंछियों की सुरमई पाँत।हर मौसम में  रहें कर्मरतसमझा…

गरीबी पर कविता

नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को सभी अब तो।भुलाकर के दया ममता सधा स्वारथ रहे अब तो। अहं में फूल कर चलता कभी नीचे नहीं देखा,मिले जब सीख दुनियाँ में लगे ठोकर कभी अब…

ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम”

ये उन्मुक्त विचार -पुष्पा शर्मा”कुसुम” नील गगन  के विस्तार सेपंछी के फड़फड़ाते पंख से,उड़ रहे, पवन के संग ये उन्मुक्त विचार । पूर्ण चन्द्र के आकर्षण सेबढते उदधि में ज्वार से,उछलते, तरंगों के संगये उन्मुक्त विचार। बढती , सरिता के…

तृष्णा पर कविता

तृष्णा पर कविता तृष्णा कुछ पाने कीप्रबल ईच्छा हैशब्द बहुत छोटा  हैपर विस्तार  गगन सा है।अनन्त नहीं मिलता छोर जिसकाशरीर निर्वाह की होतीआवश्यकतापूरी होती है। किसी की सरलकिसी  की कठिनईच्छा  भी पूरी होती है।कभी कुछ कभी कुछपर तृष्णा  बढती जातीपूरी…

भाई पर कुण्डलिया छंद

साहित रा सिँणगार १०० के सौजन्य से 17 जून 2022 शुक्रवार को पटल पर संपादक आ. मदनसिंह शेखावत जी के द्वारा विषय- भाई पर कुण्डलिया में रचना आमंत्रित किया गया. कुंडलियां विधान- एक दोहा + एक रोला छंददोहा -विषम चरण…

धूप पर कविता – पुष्पा शर्मा

धूप पर कविता – पुष्पा शर्मा कोहरे की गाढी ओढनीहिमांकित रजत किनारी लगी।ठिठुरन का संग साथ लिया सोई  रजनी अंधकार पगी। ऊषा के अनुपम रंगों नेसजाई अनुपम रंगोली,अवगुण्ठन हटा होले सेधूप आई ,ले किरण टोली। इठलाती बलखाती सी वोसब ओर…

पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा

पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को सभी अब तो।भुलाकर के दया ममता सधा स्वारथ रहे अब तो। अहं में फूल कर चलता कभी नीचे नहीं देखा,मिले जब सीख दुनियाँ में लगे ठोकर कभी…

परिवर्तन पर कविता – पुष्पा शर्मा

परिवर्तन पर कविता – पुष्पा शर्मा परिवर्तन अवश्यंभावी है,  क्योंकि यह सृष्टि  का नियम है।नित नये अनुसंधान का क्रम है।सतत श्रम शील मानव का श्रम है। परिवर्तन   ज्ञान, विज्ञान मेंपरिवर्तन मौसम के बदलाव मेंसंसाधनों  की उपलब्धियों की होड़ में।परिवर्तन परिवार मेंसमाज…

मिलते हैं हमसफर

मिलते हैं हमसफर कैसा भी सफर होसाथ से कट जातासुविधा से  व्यक्तिमंजिल तक पहुँचता । अब सफर स्कूल तकसफर खेल मैदान कापनघट तक का होया फिर मंदिर मस्जिदया उत्सव त्यौहार कासब हम सफर रहतेसुख दुख साझा सहते। जीवन के सफर…

हिन्दी का शृंगार

हिन्दी का शृंगार आ सजनी संग बैठआज तुझे शृंगार दूँमेरी प्रिय सखी हिंदीमैं तुझको संवार दूँ । कुंतिल अलकों के बीचऊषा की सजा कर लालिमा,मुकलित कलियों की वेणीजूड़े के ऊपर टांग दूँ।आ सजनी..। ईश वंदन बेंदी शीशफूलपावन स्तुतियों के कर्ण…