छेरछेरा पर कविता / राजकुमार ‘मसखरे

छेरछेरा छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख लोक पर्व है, जिसे पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन गाँवों में बच्चे और युवा घर-घर जाकर अन्न (धान) मांगते हैं और लोग खुशी-खुशी उन्हें दान करते हैं। इस पर्व का उद्देश्य समाज में दान-पुण्य और सहिष्णुता को बढ़ावा देना है। छेरछेरा पर कविता / राजकुमार … Read more

हमर का के नवा साल !/ राजकुमार ‘मसखरे’

*हमर का के नवा साल !* हमर का के नवा साल….उही दिन-बादर,उही हालहमर का के नवा साल…. बैंक  म  करजा  ह  माढ़े  हेसाहूकार  दुवारी  म  ठाढ़े हेये रोज गारी,तगादा देवत हेदिनों दिन हमर खस्ता हालहमर का के नवा साल…..! नेता  मन  नीति  बनावत हेआनी- बानी के बतावत  हेसब  ल  बने  भरमा डारिनबस  उँखरे  गलत  हे  … Read more

कइसे के लगही जाड़ !/ राजकुमार ‘मसखरे

कइसे के लगही जाड़ ! दुंग-दुंग ले उघरा बड़े बिहनियाझिल्ली,कागज़ बिनैया ल देख,कचरा म खोजत हे दाना-पानीतन  म लपटाय फरिया ल देख ! होत मूंदराहा ये नाली, सड़क मखरेरा,रापा के तैं धरइया ल देख,धुर्रा, चिखला म जेन सनाय हवैअइसन बुता के करइया ल देख ! मुड़ म उठाये बोझा,पेलत ठेलादुरिहा ले आये हे,दुवारी म देख,हाँका … Read more

कवि / कविता पर कविता/ राजकुमार ‘मसखरे

कवि / कविता पर कविता/ राजकुमार ‘मसखरे आज़कल  कवि  होते नही हैंवे सीधे ही  कवि बन जाते हैं,कुछ लिखने व मंथन से पहलेकोई  नकली  ‘नाम’ जमाते हैं ! यही कोई ‘उपनाम’ लिख करफिर नाम  मे ‘कवि’  लगाते हैं,दो,चार रचना क्या लिख डाले‘भाँटा-मुरई’ को सही बताते हैं ! ‘पताल चटनी’ लिख- लिख करये समृद्ध साहित्यकार कहाते … Read more

रावन मारे बर बड़ हुसियार / राजकुमार ‘मसखरे’

dashhara par kavita

इस कविता में समाज के उन लोगों या नेताओं की आलोचना करता है जो जनता के अधिकारों और संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं। “बहुरूपिया” का मतलब ऐसे लोग जो अपनी असली पहचान छिपाकर छल करते हैं। इसे समाज में जागरूकता फैलाने या भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के खिलाफ आवाज उठाने  में अपना रंग दिखाते हैं । … Read more