तदबीर पर कविता – RR Sahu
तदबीर पर कविता रो चुके हालात पे,मुस्कान की तदबीर सोचो,रूह को जकड़ी हुई है कौन सी जंजीर सोचो। मुद्दतें गुजरीं अँधेरों को मुसलसल कोसने में,रौशनी की अब चिरागों में नई तकदीर सोचो। जुल्मतों ने हर कदम पे जंग के अंदाज बदले,तुम फतह के वास्ते क्या हो नई शमसीर सोचो। कामयाबी के लिए हैं कौन से … Read more