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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०उपमेंद्र सक्सेनाके हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • कभी कैंसर हो न किसी को

    कभी कैंसर हो न किसी को

    कभी कैंसर हो न किसी को, हम सब मिलकर इस पर सोचें
    इसके पीछे जो कारण हैं, उनको पूरी तरह दबोचें।

    जो होता है इससे पीड़ित, उसकी हम समझें लाचारी
    बीत रही उसके घर पर जो, किस्मत भी रोती बेचारी
    मानव -जीवन है क्षण भंगुर, फिर क्यों होती मारा-मारी
    भ्रष्ट हुए जो लोग यहाँ पर, उनसे तो मानवता हारी

    प्रतिरोधक क्षमता के बल पर, रोगों के लक्षण को नोचें
    स्वस्थ रहें सब यही कामना, दीन- दु:खी के आँसू पोछें।

    आज रेडियोधर्मी किरणें, बढ़ा रहीं प्रदूषण भारी
    खान-पान में हुई मिलावट, इसीलिए होती बीमारी
    अपनापन मिट गया यहाँ से, कुटिल नीति की है बलिहारी
    मानव-मूल्य हुए अब धूमिल, सिसक रही कोई दुखियारी

    गए लड़खड़ा जीवन के पग,मानो उनमें आयीं मोचें
    मिल न सके जब साथ किसी का, पड़ें झेलना हाय बिलोचें।

    पीते हैं गोमूत्र लोग कुछ, और पपीता भी हितकारी
    तम्बाकू से बचें आज हम, इसमें छिपी बुराई सारी
    आज सभी से बोलें मिलकर, ऐसी वाणी प्यारी-प्यारी
    मिट जाए संताप सभी का,अपनी दुनिया हो अब न्यारी

    नहीं बिताएँ समय व्यर्थ में, नहीं लड़ाएँ अपनी चोचें
    बातों से जो करता घायल, उसको खुद भी लगी खरोचें।

    रचनाकार-

    उपमेन्द्र सक्सेना एड.
    ‘कुमुद- निवास’
    बरेली (उ. प्र.)

  • राम नाम ही सत्य रहेगा / उपमेंद्र सक्सेना एड०

    राम नाम ही सत्य रहेगा / उपमेंद्र सक्सेना एड०

    राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्ररामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मणभरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

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    राम नाम ही सत्य रहेगा / उपमेंद्र सक्सेना एड०

    वर्ष पाॅंच सौ गुजरे रोकर, अब हमको आराम मिला।
    इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।

    सच्चे राम- भक्त जो होते, नहीं किसी से वे डरते।
    भोले बाबा उनकी सारी, इच्छाएँ पूरी करते।।
    जय बजरंग बली की बोलें, वे कष्टों को हैं हरते।
    जो उनसे नफरत करते हैं, देखे घुट-घुट कर मरते।।

    राम लला आजाद हो गए, सुख अब आठों याम मिला।
    इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।

    सदा आस्था रही राम में, अब तक थे हम दबे हुए।
    जो बाधा बनकर आए थे, जल- भुन काले तबे हुए।।
    मर्यादाओं के मीठे में, आज पके सब जबे हुए।
    संघर्षों के चने यहाॅं पर, लगते हैं सब चबे हुए।।

    आज अयोध्या नगरी को भी, एक नया आयाम मिला।
    इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।

    राम -नाम ही सत्य रहेगा, तो हम क्यों उसको छोड़ें।
    ‘सत्यमेव जयते’ से भी हम, कभी न अपना मुॅंह मोड़ें।।
    राम -राज्य भी अब आया है, उससे हम नाता जोड़ें।
    बाधाओं की यहाॅं बेड़ियाॅं, मिलजुल कर हम सब तोड़ें।।

    जिनके सपने भटक रहे थे, उनको एक मुकाम मिला।
    इतने पापड़ बेले तब ही, भव्य राम का धाम मिला।।

    रचनाकार-

    उपमेंद्र सक्सेना एड०
    ‘कुमुद- निवास’
    बरेली (उत्तर प्रदेश)
    मो० नं०- 98379 44187