देख रहे हो बापूजी

mahatma gandhi

देख रहे हो बापूजी देख रहे हो बापूजी,कैसा है आपके सपनों का भारत।निज स्वार्थ सिद्ध करने हेतु,जन-जन ने प्राप्त कर ली है महारत। देख रहे हो बापूजी,गांवों की हालत आपसे क्या कहें।इतना विकास हुआ ग्राम्य अंचल का,कि अब गांव, गांव ना रहे। देख रहे हो बापूजी,आपकी खादी कितना बदनाम हो गई।गांधीगिरी का दामन छोड़कर,अब नेतागिरी … Read more

विश्वकर्मा भगवान पर कविता -विनोद कुमार चौहान जोगी

विश्वकर्मा भगवान पर कविता (अमृत ध्वनि छंद) सुन्दर सर्जनकार हैं, भौमन है शुभ नाम।गढ़ना नित ही नव्य कृति, प्रभुवर पावन काम।।प्रभुवर पावन, काम सुहावन, गढ़ें अटारी।अस्त्र बनाते, शस्त्र सजाते, महिमा न्यारी।।हैं अभियंता, गढ़ते जंता, गढ़ें ककुंदर।पूज्य प्रजापति, तुम्हीं रूपपति, श्री वर सुन्दर।। गढ़ते इस संसार को, लेकर कर औजार।ईश विश्वकर्मा हमें, देना भव से तार।।देना … Read more

हे गणनायक – विनोद कुमार चौहान

हे गणनायक (सार छंद) हे गणनायक हे लम्बोदर, गजमुख गौरी नंदन।लोपोन्मुख थाली से होते, अक्षत-रोली-चंदन।। हे शशिवर्णम शुभगुणकानन, छाई है लाचारी।बढ़ती मँहगाई से अब तो, हारी जनता सारी।। हे यज्ञकाय हे योगाधिप, भोग लगाऊँ कैसे।मोदक की कीमत तो बप्पा, बढ़े कनक के जैसे।। हे उमापुत्र हे प्रथमेश्वर, मँहगे हैं अब ईंधन।मूषक वाहन ही अच्छा है, … Read more