देख रहे हो बापूजी
देख रहे हो बापूजी देख रहे हो बापूजी,कैसा है आपके सपनों का भारत।निज स्वार्थ सिद्ध करने हेतु,जन-जन ने प्राप्त कर ली है महारत। देख रहे हो बापूजी,गांवों की हालत आपसे क्या कहें।इतना विकास हुआ ग्राम्य अंचल का,कि अब गांव, गांव ना रहे। देख रहे हो बापूजी,आपकी खादी कितना बदनाम हो गई।गांधीगिरी का दामन छोड़कर,अब नेतागिरी … Read more