मुस्कान पर कविता
मुस्कान पर कविता मुझे बाजार मेंएक आदमी मिलाजिसके चेहरे परन था कोई गिलाजो लगतारमुस्करा रहा थाबङा ही खुशनजर आ रहा थामैंने उससे पूछा किकमाल है आजजिसको भी देखोमुंह लटकाए फिरता हैतनावग्रस्त-सा दिखता हैआपकी मुस्कान काक्या राज हैमुस्करा रहे होकुछ तो खास हैउन्होंने कहामुझपे भीमहंगाई की मार हैमुझपे भीगम सवार हैयहाँ दुखदाईभ्रष्टाचार हैऐसे मेंखुश रहना कैसामुस्कराता … Read more