दीपोत्सव का आत्मप्रकाश

दीपोत्सव का आत्मप्रकाश(एक आध्यात्मिक कविता) हर वर्ष आता दीप पर्व, लाता रोशनी का संदेश,पर क्या जलाया अंतर्मन, या फिर दीप विशेष?भीतर झांको, पूछो खुद से, क्या बढ़ा है ज्ञान?या अब भी छाया है भीतर, अज्ञान का संधान? निरंतर आत्म-मूल्यांकन, यही है सच्ची दीवाली,हर क्षण खुद को देखो तुम, ना हो आंतरिक खाली।बाहर की चकाचौंध व्यर्थ … Read more

ब्रह्मचर्य का सत्य- मनीभाई नवरत्न

ब्रह्मचर्य का सत्य ब्रह्मचर्य कोई व्रत नहीं, न ही वस्त्र का नाम,यह तो है आत्मा की भाषा, अंतर का काम।निरंतर ध्यान की धारा, ना केवल संयम का रूप,यह तो है चेतना की चोटी, जहां मिले अनूप। कामनाओं के जाल में, जो न उलझे मन,वही तो ब्रह्मचारी है, पा गया जो अमन।नारी-पुरुष का भेद नहीं, आत्मा … Read more

स्वप्नों के पार -मनीभाई नवरत्न

स्वप्नों के पार सपनों की इस बगिया में, छिपा है एक रहस्य,नयन मूँदते ही खुलता, अंतरतम का दर्पण विशेष्य।जहाँ न कोई सीमा होती, न बंधन का नाम,केवल भाव बहते रहते, अंतर्मन की ध्वनि संग्राम।। चेतन की सीमाओं से, जब मन आगे जाए,अवचेतन की गहराई में, नयी दुनिया दिख जाए।वहाँ दबे हुए स्वप्नों का, होता है … Read more

मातृभाषा बनाम माध्यम

मातृभाषा बनाम माध्यम में शिक्षा का असली उद्देश्य क्या है? क्या अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना ही शिक्षा का मापदंड है? और इसके क्या समाधान हो सकते हैं ? इस पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है । आज भारत में शिक्षा का अर्थ, माध्यम पर भारी होता जा रहा है। शहरों में दूर और … Read more

महिला दिवस पर दोहा छंद / डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’

महिला दिवस पर दोहा छंद / डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ सृष्टि सृजन में है सदा, नारी का अनुदान।पुरुष बराबर कर्म कर, बनी देश की शान।। नारी देवी तुल्य है, ममता की भंडार।सदा संघर्ष कर रही, माने कभी न हार।। निज के पोषण के लिए, करती बाहर काज।अपने फर्ज निभा रही, गृहणी बनकर आज।। हर घर … Read more