गुरू घासीदास जी पर हिंदी कविता

गुरू घासीदास छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के गिरौदपुरी गांव में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के यहाँ अवतरित हुये थे गुरू घासीदास जी सतनाम धर्म जिसे आम बोल चाल में सतनामी समाज कहा जाता है, के प्रवर्तक थे। विकिपीडिया

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महान व्यक्तित्व पर हिन्दी कविता

गुरू घासीदास जी पर हिंदी कविता

चलसंगी गुणगान गाबो, घांसीबबा के।
गुरु के नांव बगराबो, सतनाम के।

गिरौदपुरी के नाम हे, देशबिदेश म।
पंथ चलतहे ईहां, गुरुआदेश म।
अमृत कुंड के पानी, देथे जिनगानी ।
सुग्घर धाम एहर, छत्तीसगढ़ प्रदेश म।
चल संगी आशीष पाबो, बाबाधाम के।
गुरु के नांव बगराबो, जै सतनाम के।

मनखे मनखे एके ये, गुरु संदेश म।
ऊंच नीच दूर होथे, जेकर उपदेश म।
मिलजुल रहना हे, बबा के कहना ये।
नई उलझ साथी, अब दुख कलेश म।
पिरित भाव जगाबो, जे हावे काम के।
गुरु के नांव बगराबो, जै सतनाम के।

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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