मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई

मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई

मैंने चाहा तुमको हद से,
कोई खता तो नहीं।
मैंने मांगा मेरे राम से
कोई ज्यादा तो नहीं।
तू समझे या ना समझे
तू चाहे या ना मुझे चाहे
इसमें कोई वादा तो नहीं।

तेरी भोली बातें सुनूं,
या देखूं ये निगाहें
कैसे संभालूं दिल को,
कैसे छुपाऊं आहें।
तेरे पास पास रहूं,
तेरे साथ साथ चलूं
इसकी कोई वजह तो नहीं।

तुम मेरे कल हो,
और आज हों अभी,
तुमसे मेरे काम हो,
आराम हो अब सभी।
तुमसे हर बात कहूं ,
पूरे दिन सात कहूं।
तुझे ना सोचूं कोई
ऐसी जगह तो नहीं।

मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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