तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है -बाँके बिहारी बरबीगहीया

तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है समझो इस जीवन को ये तो बहती धारा है। प्यार इजहार के लिए वक्त यूँ जाया न कर वक्त के साथ ये तो डूबता किनारा है।। ये जो रंगीन लम्हे लेके जी रहे हो तुमये तो क्षण भर की … Read more

रास नहीं क्यों आता है-राजकिशोर धिरही

रास नहीं क्यों आता है शौचालय का अभियान चला,वंचित घर रह जाता है।बाहर जाते बच्चे उनके,रास नहीं क्यों आता है जाति भेद को करते रहते,जलते रहते बढ़ने सेटाँग अड़ाते फिरते रहते,रोका करते पढ़ने से चाँद पर जा रही है दुनिया,बैरी के मन काले हैंखुले में शौच करने से ही,हत्या कर डाले हैं रंजिश रखते हैं … Read more

आसाम प्रदेश पर आधारित दोहे-सुचिता अग्रवाल “सुचिसंदीप”

आसाम प्रदेश पर आधारित दोहे ब्रह्मपुत्र की गोद में,बसा हुआ आसाम। प्रथम किरण रवि की पड़े,वो कामाख्या धाम।।  हरे-हरे बागान से,उन्नति करे प्रदेश। खिला प्रकृति सौंदर्य से,आसामी परिवेश।। धरती शंकरदेव की,लाचित का ये देश। कनकलता की वीरता,ऐसा असम प्रदेश।। ऐरी मूंगा पाट का,होता है उद्योग। सबसे उत्तम चाय का,बना हुआ संयोग।। हरित घने बागान में,कोमल-कोमल … Read more

प्रीत के रंग में-राजेश पाण्डेय *अब्र*

प्रीत के रंग में गुनगुनाती हैं हवाएँमहमहाती हैं फ़िजाएँझूम उठता है गगन फिरखुश हुई हैं हर दिशाएँ                  प्रीत के रंग में                  मीत के संग में, रुत बदलती है यहाँ फिरफूल खिल उठते अचानकगीत बसते हैं लबों परमीत मिल जाते … Read more

क्या होती है निराशा – धनेश्वर पटेल

क्या होती है निराशा लेती जो छीन जीने की आशापेंचीदा है ,इसकी परिभाषासवालों से घिरे बयां करते चेहरे,बता रहे क्या होती है निराशा।।     खो गई मुस्कान कहीं दूर    किस्मत में नहीं, वो भी मंजूर    आंखो में छाई, काली घटा    आंसू भी बरसने को मजबूर।। टूटे सपनों को फिर जोड़ना चाहूंजो … Read more