हाँ ये मेरा आँचल-वर्षा जैन “प्रखर

हाँ ये मेरा आँचल आँचल, हाँ ये मेरा आँचलजब ये घूंघट बन जाता सिर परआदर और सम्मान बड़ों काघर की मर्यादा बन जाता है जब साजन खींचें आँचल मेराप्यार, मनुहार और रिश्तों मेंयही सरलता लाता हैप्यार से जब शर्माती हूँ मैंये मेरा गहना बन जाता है मेरा बच्चा जब लड़ियायेआँचल से मेरे उलझा जाएममता का … Read more

बेटी हूँ आपकी-भागवत प्रसाद साहू

बेटी हूँ आपकी कोख मे पल रही , शीघ्र जग में आऊ। नन्ही सी परी बन,जन जन को बतलाऊ। हूं बेटी मैं आपकी,दूध का कर्ज चुकाऊ।एक नही दो-दो कुल की,लाज बचाऊ।बेटी हूं आपकी……………….। पंख नही फिर भी,आसमान उड़ जाऊ। मंगल पर रख कदम,दुनिया को हसाऊ।। बेटा नही बेटी हु इस धरा की,आवाज दे चिल्लाऊ।तू कहे … Read more

गाय गरुवा के हड़ताल

गाय गरुवा के हड़ताल हमरो बनय राशन कारड चारा मिलय सरकारी ।सब्बो योजना ल छोड़ भर पेट मिलय थारी।जब तक पूरा न होवय गरुवा घुरुवा अउ बारी ।गाय गरुवा के हड़ताल रही जारी…….। छत्तीसगढ़ के चारो कोती हामर हावय चिन्हारी ।चाहे नेता चाहे बाबा चाहे ओ रास बिहारी।लोटा लोटा गोरस पियय चारा के नइये पुछारी … Read more

भारत माता रोती है -हृषिकेश प्रधान “ऋषि”

         भारत माता रोती है जब-जब सीमा पर अपना,वीर सपूत खोती है ।तब भारत माता रोती है,तब भारत माता रोती है ।। सीने से लगाकर मां जिसको दूध पिलाती ।गोद में बिठाकर मां जिसको रोटी खिलाती ।छाती में लिटाकर  मां जिसको लोरी सुनाती। बाहों में झूलाकर  मां जिसको रोज सुलाती ।जब कोई मांअपने लाल का,पुण्यतिथि मनाती … Read more

स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैं/डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

“डीजेन्द्र कुर्रे की कविता ‘स्वरोजगार तुमको ढूंढना है’ में स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा दी गई है। यह कविता युवाओं को स्वरोजगार के महत्व को समझाते हुए उन्हें प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद को ढूंढें और अपने पैरों पर खड़े हों।” सारांश: “स्वरोजगार तुमको ढूंढना है” एक … Read more