बेटी का दर्द पर कविता

बेटी का दर्द पर कविता अब तो लगने लगा है मुझको,कोख में ही माँ मुझको कुचलो।बाहर का संसार है सुंदर,ऐसा लगता है कोख के अंदर।पर जब पढ़ती हो तुम खबरें,हत्या, बलात्कार, जेल और झगड़े।नन्हा सा ये तन मेरा,भर उठता है पीड़ा से।विदीर्ण हो उठता कलेजा मेरा,अंतर में होती है पीड़ा। सुनकर माँ मुझको तकलीफ,जब होती … Read more

हम तो उनके बयानों में रहे -नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

हम तो उनके बयानों में रहे हम जब तक रहे बंद मकानों में रहे।वे कहते हैं हम उनके ज़बानों में रहे।1। उनके लिए बस बाज़ार है ये दुनियाँगिनती हमारी उनके सामानों में रहे।2। मुफ़लिसी हमारी तो गई नहीं मगरहमारी अमीरी उनके तरानों में रहे।3। जो बड़े जाने-पहचाने लगते हैं अबकभी हम भी उनके बेगानों में … Read more

समय का चक्र डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’ की कविता

समय का चक्र चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को निःशब्द जला रही थीं! रोकती रही मैं मगर सताता रहाताकत पर अपनी इतराता रहा! भूल जाता बचपन में तुझे खिलौना बन रिझाती रही,थक जाता जब रो-रो करपलना बनकर झुलाती रही! बुढ़ापे में असमर्थ हुआ तोलाठी बनकर चलाती रही,जीवन के संसाधनों में तेरेहरदम काम आती … Read more

बेटियां सिर्फ होती पराई हैं…?- संतोष नेमा “संतोष”

बेटियां सिर्फ होती पराई हैं दिल्लीहैदराबादऔऱउन्नाव..!!कहाँ हैबेटियों कासुरक्षितठाँव..??शहरदर शहरदरिंदगीबदस्तूरजारी है.!!घटनाओं कीखिलतीरोज नईएक पारी है..!!नेता अबनित नएबयानफेंकते हैं..!ऐसे मौकों पर भीराजनीतिकरोटियांसेंकते हैं..!!क्या यहीपरिदृश्यहै आज का..?हिंदुस्तानीसभ्य समाज का..!!कहाँ गएकानून केलंबे हाथ..?हम क्योंहो गएइतने अनाथ..??क्या हो गएहम इतनेकमजोर..?अपराधियों परनहीं चलताअब कोई जोर..??कब तलकबेटियाँ यूँजलाईजाएंगी..?शैतानों केहाथों यूँसताईजाएंगी..!!तथाकथितबुद्धिजीवीमौन हैं..!!ऐसीघटनाओं परभी रखतेकुछ अलगदृष्टिकोण हैं. !!!“संतोष”क्या हमारीमानसिकतायह बनआई है..!क्या बेटियाँहोतींसिर्फपराई हैं…???—————– @संतोष … Read more

न्याय प्रक्रिया में सुधार जरूरी है-संतोष नेमा “संतोष”

न्याय प्रक्रिया में सुधार हैदराबादकांड पर जोमानवाधिकारवाले उन्हेंकल तकअनाचारियों कोदानव कहते थे..!और बड़े हीबेफिक्री सेरहते थे.!!आज उनकाअंजाम देखउनकीमानवताजागी..!बोले बिनन्यायालय मेंअपराध सिद्ध हुएवो कहाँ हैं दागी..?यह सुन एकमहिलाबौखलाई..!बोली येदोगली नीतिकहाँ से आई..?हम भीन्यायालय केनिर्णय कोमानते हैं.!पर न्यायकब मिलेगाये भी जानते हैं..!!निर्भया कीसज़ा अभीबाकी है..!पिछलेआठ वर्षों कीयह झांकी है..!!इस पीड़ा कोआप क्यासमझेंगे.!!आप सिर्फसबूतों कोही परखेंगे..!!“संतोष”न्याय मेंअनावश्यक देरी … Read more