साधना पर कविता

साधना पर कविता करूँ इष्ट की साधना,कृपा करें जगदीश।पग पग पर उन्नति मिले,तुझे झुकाऊँ शीश।। योगी करते साधना,ध्यान मगन से लिप्त।बनते ज्ञानी योग से,दूर सभी अभिशिप्त ।। जो मन को हैं साधते,श्रेष्ठ उसे तू जान।दुनिया के भव जाल में,फँसे नहीं वो मान।। करो कठिन तुम साधना,दृढ़ता से धर ध्यान।मन सुंदर पावन बने,संग मिले सम्मान।। मानव … Read more

मनोरम छंद विधान- बाबूलाल शर्मा

मनोरम छंद विधान मापनी – २१२२ २१२२ चार चरण का छंद है दो दो चरण सम तुकांत हो चरणांत में ,२२,या २११ हो चरणारंभ गुरु से अनिवार्य है ३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्य मापनी – २१२२, २१२२ कल काल से संग्राम ठानो!साहसी की जीत मानो!आज आओ मीत सारे!काल-कल बातें विचारे! सोच ऊँची बात मानव!भाव होवें मान … Read more

महँगाई पर दोहे

महँगाई पर दोहे महँगाई की मार से , हर जन है बेहाल।निर्धनभूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल।।1।। महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिनरात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात।।2।। महँगाई में हो गया , गीला आटा दाल।पूँछे कौन गरीब को,जिसका है बेहाल।।3।। सुरसा के मुख सी बढ़े,महँगाई की मार।देखो तो चारों तरफ , होता हाहाकार।।4।। महँगी हर … Read more