सुबह पर कविता
सुबह पर कविता सुबह-सुबह सूरज ने मुझेआकर हिचकोलाऔर पुचकारते हुए बोलाउट्ठो प्यारेसुबह हो गई हैआलस त्यागोमुँह धो लो मैंने करवट बदलते हुएअंगड़ाई लेते हुएलरजते स्वर में बोलासूरज दादाबड़ी देर में सोया थाथोड़ी देर और सोने दो नमुझे आजअपने उजास के बदलेथोड़ा-सा अंधकार दो न सूरज दादा नेहँसते हुए बोलाअरे पगले !जो है नहीं मेरे पासवह … Read more