वन्दे मातरम् – बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय

यह गीत बंकिम चंद्र जी के उपन्यास आनंदमठ (1882) का हिस्सा है। उपन्यास में इसे सन्यासी क्रान्तिकारी गाते हैं। इस गीत में संस्कृत और बांग्ला भाषाओं का मिश्र-प्रयोग हुआ है। इसके पहले दो पैराग्राफ़ को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता प्राप्त है।

ऊर्जा संरक्षण पर कविता-महदीप जंघेल

ऊर्जा संरक्षण पर कविता – महदीप जंघेल आओ मिलकर ऊर्जा दिवस मनाएँ।ऊर्जा की बचत का महत्व समझाएँ।। टीवी,पंखा,कूलर,बल्ब में ऊर्जा बचाएँ।आवश्यकता हो तभी, इसे उपयोग में लाएँ।। कच्चे तेल,कोयला,गैस की ,मांग निरन्तर बढ़ रही है।अंधाधुंध उपभोग से ,प्राकृतिक संसाधन घट रही है। ऊर्जा उपयोग कम करने का,लाभ जन-जन को बतलाएँ।भविष्य में उपयोग कैसे हो,महत्व इसका … Read more

शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा

प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

पेड़ धरा की शान है परमेश्वर साहू अंचल

पेड़ धरा की शान है परमेश्वर साहू अंचल पेड़ धरा की शान है, नेक सफ़ल अभियान।आओ रोपें मिलकर, तजें तुच्छ अभिमान।। हवा शुद्ध करता यही, खास नेक पहचान।जड़ी बूटी है काम की, पूर्ण करें अरमान।। ताप उमस हरदम हरे, रक्षा करता धूप।शीतल छाया में सदा, निखरे हड़पल रूप।। डंठल पत्तल काम की, आते सारे काम।इससे … Read more

कर्ज पर कविता – मनोरमा चन्द्रा

कर्ज पर कविता – मनोरमा चन्द्रा कर्ज तले जो दब गए, होते हैं गमगीन।उसकी निंदा छोड़ तू, समझ उसे मत दीन।। कर्ज लिया जो आज है, उसे नहीं तू भूल।जो तुमने धोखा दिया, लूँगा कर्ज वसूल।। सेठ कर्ज जितना दिया , सूद संग की चाह।हो वसूल सब राशियाँ , पूरे होते माह।। कर्ज दिया जिसने … Read more