धारा तीन सौ सत्तर पैतींस ए -डाँ. आदेश कुमार पंकज

 धारा तीन सौ सत्तर पैतींस ए 

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।

छप्पन इंची के सीने ने ही साहस दिखलाया है ।।

बच्चों को बंदूकें देकर जहर घोलते फिरते थे ।

केसर की क्यारी जो जन आग लगाते फिरते थे ।।

ऐसे सब गद्दारों को उनके घर में दफनाया है ।

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।।

धारा तीन सौ सत्तर को एक क्षण में है मठ डाला ।

छप्पन भोगी लोगों का पूर्ण क्षरण है कर डाला ।।

पड़ी अँधेरी घाटी में इक सूरज नया उगाया है ।

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।।

सरकारी खर्चें पर जो सब दूध मलाई खाते थे ।

ऐश कर रहे भारत में पर गीत पाक के गाते थे ।।

ऐसे आस्तीनी साँपों को रस्ता नया दिखाया है ।

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।।


पैतिंस ए को खत्म किया इतिहास नया रच डाला है ।

मुफ्ती अब्दुला जैसे वाचालों के मुँह पे ठोका ताला है ।।

भारत में एक विधान रहेगा  दुनिया को समझाया है ।

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।।


बादाम खुवानी अखरोटों के बाग पुनः मुस्काये है ।

काश्मीर की गलियों ने फिर गीत खुशी के गाये हैं ।।

कश्यप के आश्रम में अब फिर से यौवन आया है ।

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।।


गंगा यमुना सब खुश हैं अरु झेलम भी हरषायी है ।।

केसर के फूल सजे देखो हर क्यारी मुस्कायी है ।।

मेघदूत के छन्दों को अब सबने मिलकर गाया है ।

सत्तर सालों में अब कोई नया उजाला लाया है ।।


डाँ. आदेश कुमार पंकज

डाँ. आदेश कुमार पंकज

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