शाकाहार
वीरा कहते है सदा,चले अहिंसा राह।
राग-द्बेष को छोड़ दो,सज्जन की यह चाह।।
सज्जन की यह चाह,
सत्य की राह बताते।
अज्ञानी कर पाप,
पाप फिर उन्हें सताते।।
अलका शाकाहार,
छोंक सब्जी में जीरा।
मानवता है धर्म,सभी से कहते वीरा।।
हिंसा करना मत कभी,कहते वीर महान।
दया-धर्म की राह पे,चलते संत सुजान।
चलते संत सुजान,
बात ये सब अपनाओ।
एक बड़ा उपहार,
साग-फल ताज़ा खाओ।।
अलका की मनुहार,मनुज का धर्म अहिंसा।
काम-क्रोध को त्याग,जीव की करे न हिंसा।।
अलका जैन आनंदी
ओशिवारा मुंबई दूरभाष

Kavita Bahar Publication
हिंदी कविता संग्रह

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