नाराच ( पंच चामर ) छंद :
24 मात्रा, ज र ज र ज गुरु ।
महान देश की ध्वजा पुनीत राष्ट्र गान है ।
उठे सदा झुके नहीं अतीत गर्व प्राण है ।।
खड़े रहे डटे रहे मिसाल दे जवान है ।
अनंत कर्मयोग को सिखा रहा किसान है ।।
दिशा सभी पुकारते निशा प्रभा बिखेरती ।
सनेह गंध घोलते समीर मंद डोलती ।।
समुद्र पाँव चापते हिमाद्रि ताज राजते ।
निशंक लोग राष्ट्र के सुपात्र धर्म पालते ।।
विलास प्राण प्राण में नहीं विषाक्त भावना ।
नदी पवित्र गंग है हिताय नित्य कामना ।।
बसंत भाव प्रेम का यहाँ नहीं प्रवंचना ।
अमाप मातृभूमि की करें सदैव वंदना ।।
~ रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह